कैंसर की किमियोथेरेपी अब एम्स ऋषिकेश में भी,जल्द लगेगी हायपेक मशीन…पद्मश्री रविकांत

देहरादून/ऋषिकेेश

पेट के कैंसर से ग्रसित मरीजों को अब उच्च तकनीक आधारित मशीन से कीमियोथेरिपी के लिए अब उत्तराखंड से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है। जल्द ही कैंसर की बीमारी से ग्रसित मरीजों को यह सुविधा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में मिलने लगेगी। एम्स संस्थान के स्तर पर इस हाईपैक नामक अत्याधुनिक मशीन को स्थापित करने की कवायद शुरू कर दी गई है। एम्स ऋषिकेश में इस बीमारी से ग्रसित रोगियों की समस्याओं के समाधान के लिए फिलवक्त तीन अलग- अलग शाखाएं कार्य कर रही हैं। जिनमें मरीज में कैंसर के लेवल स्तर की जांच के बाद उन्हें सर्जरी, कीमियोथेरिपी और रेडिएशन से सिकाई आदि माध्यमों से उपचार दिया जाता है। ऐसी स्थिति में यदि मरीज पेट में ट्यूमर कैंसर रोग से ग्रसित हो, तो अभी तक ऐसे मरीजों के लिए कीमियोथेरेपी की सुविधा ही उपलब्ध थी। इसी क्रम में सुविधाओं के विस्तारीकरण के तहत उच्च तकनीक उपलब्ध कराने को ऋषिकेश एम्स संस्थान हाईपैक मशीन का प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि वर्तमान में एम्स संस्थान में कैंसर से ग्रसित मरीजों को विश्वस्तरीय उपचार की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि इस बीमारी के इलाज के लिए यूरोप और अमेरिका के समकक्ष बेहतर स्तर की तकनीक और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम एम्स संस्थान में सेवाएं दे रही है। उन्होंने बताया कि लोगों को शरीर में कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के लक्षण नजर पाए जाने पर तत्काल अस्पताल पहुंचकर चिकित्सकों से परामर्श लेना चाहिए। जिससे रोग को प्रथम चरण में पहचान कर उसका उपचार शुरू किया जा सके। एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि इस मशीन के उपलब्ध होने से कैंसर ग्रस्त मरीज के उपचार में सीधेतौर पर लाभ पहुंचेगा, फिलहाल पेट के कैंसर के मरीजों को ब्लड के माध्यम से त्वचा के बाहर से किमियोथैरेपी सिकाई की जाती थी, जिससे मरीज को काफी पीड़ा भी सहन करनी पड़ती है, जबकि इस मशीन से मरीज को सीधे पेट के भीतर ही सिकाई की सुविधा मिल सकेगी। निदेशक ने बताया कि इस मशीन से पेट की कीमियोथैरेपी करने से सिकाई के साइड इफेक्ट कम होंगे। एम्स के सर्जिकल ओंकोलॉजी विभाग के डा. पंकज कुमार गर्ग ने बताया कि इस मशीन के उपलब्ध होने से पेट के कैंसर से ग्रस्त रोगियों को काफी लाभ मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि इस मशीन से किमियोथैरेपी के दुष्प्रभाव भी काफी कम हो जाएंगे व इस विधि से उपचार कराने वाले कैंसर ग्रसित मरीज के स्वास्थ्य सुधार में बढ़ोत्तरी की उम्मीदें काफी हद तक बढ़ जाती हैं। उन्होंने बताया कि इस मशीन से पाइप के माध्यम से दवा सीधे ट्यूमर तक पहुंच सकेगी, जिससे उसे सीधे लाभ का फायदा मिलेगा। यह हैं कैंसर के लक्षण व वजहें एम्स के कैंसर विभागाध्यक्ष प्रो. एसपी अग्रवाल व डा. पंकज कुमार गर्ग के अनुसार उम्र के अंतिम पड़ाव में भी कैंसर का इलाज संभव है। वशर्ते मरीज कैंसर के लक्षणों के प्रति जागरुक हो। उन्होंने बताया कि वर्तमान में मरीज मुहं के कैंसर, खाने की नली, बच्चादानी और छाती के कैंसर के मामले अ​धिक सामने आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि अत्यधिक शराब का सेवन, धूम्रपान व बढ़ता वजन भी शरीर में कैंसर बनने के कारण हैं। यदि मरीज इसके लक्षण मिलते ही बीमारी के पहले चरण में अस्पताल पहुंचकर जांच के बाद उपचार शुरू कराए तो बहुत जल्दी मरीज ठीक हो जाता है । उन्होंने बताया कि मुहं में बार-बार छाले उत्पन्न होना, बलगम या उल्टी में खून आना, शरीर में अचानक तेजी से बढ़ता कोई नया निशान नजर आना, छाती या स्तन में गांठ का बनना अथवा मल या मूत्र में खून आने जैसे लक्षण कैंसर के हो सकते हैं। कई बार देखने में आता है कि मरीज बीच में ही इलाज को छोड़ देते हैं, ऐसा करना मरीज के लिए घातक सिद्ध होता है।

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