शिक्षक चौपाल के तीसरे दिन बच्चो ने साझा किये अनुभव

शिक्षक चौपाल में तीसरे दिन बच्चों ने बताये कक्षाकक्ष के अनुभव
देहरादून.
कैसे सीखा हिसाब लगाना, कैसे बनायीं अपनी खुद की कहानियां, कैसे बना कहानियों का पेड़, ऊँगली में नम्बर पहनकर कैसे किया जाता है जोड़, घटाना, दीवार पत्रिका हो या बच्चों की कहानियों का पिटारा
शिक्षक चौपाल के तीसरे दिन फ़रगर प्राइमरी एवं जूनियर हाई स्कूल के प्रांगण में बच्चों की बनायी आकृतियाँ, सामग्री और गतिविधियाँ सजी हुई थीं । बच्चों के उत्साह से स्कूल का कैम्पस मुस्कुरा रहा था।हर बच्चे में अपने सीखे हुए को बताने को उत्साह था, गतिविधियों में प्रतिभाग करने को आतुर बच्चे बताते है कि सीखना आनन्ददायक होता है।हो सकता है आज यह दिखाई दे रहा था।
रायपुर ब्लॉक के विविध संकुलों आये 15 स्कूलों के बच्चे आज शिक्षक चौपाल के तीसरे दिन शिक्षकों द्वारा भाषा और गणित की उन गतिविधियों व प्रक्रियाओं को दर्शाई जो उन्होंने कक्षा में अपने शिक्षकों से सीखी। इसके पहले दो दिन इन्हीं स्कूलो के शिक्षकों ने शुरूआती भाषा व गणित शिक्षण को लेकर अपनी कक्षाई गतिविधियों को एक पर्चे के रूप में सभी से साझा किया था जो प्रक्रियाएं शिक्षकों ने साझा की थीं वही आज बच्चों द्वारा स्वयम करके दिखाई जा रही थीं। शिक्षक चौपाल का यही उद्देश्य है कि थ्योरी और प्रैक्टिस के कनेक्ट को साकार होते देखा जा सके और एक-दूसरे को सीखाया जा सके। इन स्कूलों में प्राइमरी स्कूल ढंडार, बंजारावाला, किशनपुर, वाणी विहार, नेहरू ग्राम, नया गांव, मान सिंह वाला, राजपुर, पटेल नगर, बापू नगर, लक्खी बाग, आर्य नगर काठ बंगला, ननूर खेड़ा, ब्रह्मपुरी, डांडा खुदाने वाला थे और जिन शिक्षकों ने शिक्षक चौपाल में पर्चे पढ़े उनमे कुसुम रावत, सुमन रेखा, संगीता जोशी, अंजना पाल, बबिता शर्मा, संगीता सिंह, रेखा अग्रवाल, संगीता इष्टवाल, पूजा गोस्वामी, सुषमा नेगी, पारेश्वरी देवी, विनीता शर्मा, विनीता रावत, अंजली सेठी और मधु तिवारी थे।
विकासखंड रायपुर और अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के साझा प्रयासों के अंर्तगत 2019 में शुरू हुए शिक्षक चौपाल की श्रृंखला की यह दूसरी कड़ी थी. शिक्षक कैसे बेहतर ढंग से पढ़ा रहे हैं और बच्चे कैसे अच्छे ढंग से सीख रहे हैं इन दो सवालों को केंद्र में रखते हुए शिक्षक चौपाल की अवधारणा बुनी गयी. शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक साथियों की कुछ बेहतर प्रैक्टिस को डाक्यूमेंट करते हुए अन्य शिक्षक साथियों से साझा करने का यह प्रयास है. इस साल रायपुर ब्लॉक के अलग-अलग संकुलों के शिक्षक साथियों ने पहले और दूसरे दिन शुरूआती भाषा और शुरूआती गणित शिक्षण की प्रक्रियाओं को साझा किया तीसरे दिन उन्हीं स्कूलों के बच्चे उन प्रक्रियाओं को करते हुए नजर आये।ज्यादातर शिक्षक साथियों के लिए इस तरह अपनी प्रक्रियाओं को साझा करने के चलते उनमें कुछ संकोच था जबकि बच्चों के लिए यह काफी उत्साह भरने वाला दिन था ।वो अपने छोटे-छोटे स्टाल पर आने वालों का इंतजार कर रहे थे और तत्परता से उन प्रक्रियाओं को बता रहे थे।
इस अवसर पर दिल्ली से आये ड्रामा इन एजुकेशन के विशेषज्ञ, सुभाष रावत ने जहाँ पहले दिन शिक्षक साथियों के साथ कुछ रोचक और कक्षा हेतु कारगर भाषाई गतिविधियाँ करवायीं वहीं दूसरे दिन उन्होंने गणितीय गतिवधियां करायीं। ये ऐसी गतिविधियाँ थीं जिनका उपयोग शिक्षक अपनी कक्षाओं में कर सकेंगे. तीसरे दिन सुभाष रावत ने बच्चों के साथ दिलचस्प और शिक्षण से जुड़ी गतिविधियाँ करवाईं बच्चों का उत्साह इन गतिविधियों के दौरान दिख रहा था।

Leave a Reply

Your email address will not be published.