सीएम त्रिवेंद्र ने मनोज श्रीवास्तव ओर कर्नल डीपी डिमरी की पुस्तकों का विमोचन किया

देहरादून
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में सूचना विभाग में कार्यरत सहायक निदेशक, मनोज श्रीवास्तव द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘राजयोग में साइलेंस की शक्ति और डिप्रेशन से मुक्ति’’ का लोकार्पण किया। योग विषय पर लिखी गई पुस्तक को आधुनिक, समसायिक समय मे अत्यंत उपयोगी बताते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि योग आज की आवश्यकता की मांग है।
इस पुस्तक के लेखक श्री मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि मुंबई की डॉ. शिप्रा मिश्रा के सहयोग से लिखी गई, इस पुस्तक में कोरोना काल में बढ़ती मानसिक समस्याओं का व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत किया गया है। योग पर आधारित इस पुस्तक में बताया गया है कि भाग-दौड़ के जीवन में हमने कभी भी रुककर, अपने मन या आत्मा में झांकने का प्रयास नही किया है। मन या आत्मा पर ध्यान न देने के कारण हम अंदर से खालीपन ,अकेलापन का शिकार हो गये है। इससे हम भय,चिंता,निराशा और हताशा का जीवन जी रहें है। आज हमारे बुद्धि ने प्रकृति के प्रकोप कोरोना, कोविड के सामने सम्पर्ण कर दिया है। क्योंकि हमने अपने भावनात्मक बुद्धि और आध्यत्मिक बुद्धि के विकास पर ध्यान नही दिया है। इसलिये हम मानसिक रूप से बाह्य परिस्थितियों से लड़ने में अपने को कमजोर महसूस कर रहे है। इसके लिये मानसिक बल के आध्यात्मिक चिंतन, योग प्राणायाम की दिनचर्या अपनाना जरूरी है।
पुस्तक से हमें लीडरशिप क्वालिटी, मेंटल इमोशनल आर्ट की जानकारी मिलती है, यह हमारे जीवन के लिए एक गाईड है, जिसके माध्यम से हम जीवन मूल्यों और सिद्धान्तों को ग्रहण कर सकते हैं। भावनात्मक प्रबन्धन के लिए ईमोशनल कोसेंट और आध्यात्मिक जीवन के लिए स्प्रीचुअल कोसेंट की विस्तार से चर्चा की गयी है। पुस्तक के विभिन्न अध्यायों में नींद की समस्या का समाधान, विजन और गोल में अन्तर, अवचेतन मन की शक्ति को डिप्रेशन के प्रमुख समाधान के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
दूसरी ओर कर्नल (रिटा.) डॉ. डी.पी डिमरी एवं उनके सहयोगियों द्वारा उत्तराखण्ड की तीन क्षेत्रीय भाषाओं गढ़वाली, कुमांऊनी और जौनसारी पर बनाये गये मोबाईल ऐप ‘आखर’ शब्दकोष का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि क्षेत्रीय भाषा एवं बोलियों के प्रति लोगों का रूझान बढ़े, इस दिशा में यह एक सराहनीय प्रयास है। हमें अपनी भाषा, बोलियों एवं संस्कृति के संरक्षण के लिए निरन्तर प्रयास करने होंगे। किसी भी क्षेत्र की बोली, भाषा एवं संस्कृति ही उस क्षेत्र की विशिष्टता बताती है।
डॉ. डी.पी डिमरी ने कहा कि यह प्रयास क्षेत्रीय भाषाओं को सीखने के इच्छुक युवाओं व इन भाषाओं में रूचि रखने वाले लोगों के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की क्षेत्रीय भाषाओं पर कई विस्तृत शब्दकोष उपलब्ध हैं। लेकिन आवश्यकता पड़ने पर उनका शीघ्र उपलब्ध हो पाना कठिन होता है। इसलिए लघु रूप में डिजिटल शब्दकोष उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है। डॉ. डिमरी ने बताया कि इस शब्दकोष को बनाने में उनकी टीम के सदस्यों श्री अरूण लखेड़ा, श्री पूरन कांडपाल, सुश्री नूतन पोखरियाल, सुश्री उर्मिला सिंह एवं सुश्री रेखा डिमरी का सहयोग रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.