आज भी भगत सिंह प्रासंगिक उतने ही है जितने पहले थे…डीएस गर्ब्याल

देहरादून

मसूरी विधान सभा के कंडोली में विचार गोष्ठी कर मनाया भगत सिंह राजगुरु सुखदेव का शहीदी दिवस

इस अवसर पर आयोजक शंभू प्रसाद ममगाई ने बताया कि 23 मार्च 1931 को भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजी हुकूमत ने एक दिन पहले ही फांसी दे दी थी और शहीदों के शवों को नदी के किनारे अधजली हालत में छोड़कर भाग गए थे। कंडोली चिडोवाली एवं क्षेत्र की जनता के द्वारा उनकी शहादत को याद करते हुए कहा गया कि युवा पीढ़ी को यह जानने की जरूरत है कि आजादी आखिर चीज है क्या कैसे मिली क्यों इस लड़ाई को लड़ने की जरूरत पड़ी। देश की आजादी में शहीद हुए सभी शहीदों को इस अवसर पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। वक्ताओं ने कहा कि भगत सिंह की सोच थी आजादी तो मिल ही जाएगी लेकिन तब अंग्रेजियत को देश से बाहर करना बड़ा काम होगा। वक्ताओं ने कहा आज भी भगत सिंह उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पहले थे।


कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व आईएएस डीएस गबर्याल ने कहा कि भगत सिंह और उनके साथियों की शहादत के साथ उनके सपनों एवं विचारों पर चलने की आज देश को सख्त जरूरत है।


गोष्टी में शंभू प्रसाद ममगाईं, टीआर पोखरियाल,जय प्रकाश उपाध्याय, सुभाष नोडियाल,उदयराम ममगाई,विनोद नेगी,पंकज भार्गव, पार्षद चुन्नीलाल, सुरेंद्र चौधरी, आरएस रावत ,माल सिंह बिष्ट ,अजय शर्मा,गुलफाम खान,सोनी रावत, हरीश भट्ट,सुरेंद्र रतूड़ी,सुरेंद्र चौधरी,प्रीतम गुसाई ,सुभाष नोडीयाल,पितांबर दत्त,शंकर प्रसाद तिवारी,सत्य किशोर घिल्डियाल, सुनीता नेगी,लक्ष्मी नेगी,लक्ष्मी नेगी,गीता ममगाईं,अमीता ममगाईं, चंद्रकला काला,अनीता,रेखा ध्यानी,मालती बिष्ट,नीलम बिष्ट,मालती नेगी आदि ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।

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