हरितालिका तीज..28 अगस्त रविवार को होगा गोर्खाली महिला हरितालिका तीजोत्सव,जिसमे प्रदेश के साथ ही देश और नेपाल के गणमान्य शिरकत करेंगे

देहरादून

28 अगस्त रविवार को गोर्खाली महिला हरितालिका तीज उत्सव कमेटी द्वारा हर साल की भांति पुनः महेंद्र ग्राउंड में होने जा रहा है।

समिति की अध्यक्षा श्रीमति सुनीता क्षेत्री ने बताया कि हालांकि इस कार्यक्रम को कोरोना की वजह से दो सालों तक नही किया गया। परन्तु कार्यक्रम में इससे और ज्यादा लोगो मे उत्सुकता बढ़ी ही है। और इसबार ज्यादा लोगों के शिरक्त करने का अंदेशा है। इसिलिए इस वर्ष समिति ने भी अपने दायरे को बढाने का प्रयास किया है।

बताया कि हरितालिका तीज सम्पूर्ण विश्व में रहने वाले समाज में मनाया जाने वाला एक पवित्र धार्मिक पर्व है। अपने वैवाहिक जीवन की खुशहाली एवं पति के सौभाग्य कल्याण के साथ-साथ परिवार में सुख शांति हेतू हिन्दु नारियों द्वारा मागलिक अनुष्ठान के रूप में मनाया जाने वाला पवित्र पर्व है। गोखाली महिला हरितालिका तीज उत्सव कमेटी विगत कई वर्षों से भव्य रूप से इस उत्सव को मनाती आ रही है। इस वर्ष भी गोर्खाली महिला हरितालिका तीज कमेटी 28 अगस्त 2022 रविवार को महेन्द्र ग्राऊड गढ़ी कैन्ट में गोर्खाली महिला हरितालिका तीज उत्सव मेला-2022 भव्य रूप में मनाने जा रही है।

इस समारोह के मुख्य आकर्षण टीज क्वीन , तीज प्रिंसेस जैसी प्रतियोगिताएँ, वृद्धा सम्मान एंव समाज को गौरवावित करने वाली प्रतिभाओं का सम्मान हैं। गोर्खाली व्यंजनों एवं गोर्खाली परिधान गहनों एवं अन्य स्टाल भी आकर्षण का केन्द्र रहेंगे।

मीडिया प्रभारी प्रभा शाह ने अवगत कराया: सांस्कृतिक लोकगीत एवं लोकनृत्य तीज पर्व की आत्मा है। इसी परम्परा के अंतर्गत सांस्कृतिक कार्यक्रमों की लम्बज श्रंखला के रूप में अपनी संस्कृति, परम्परा एंव भाषा को लोकनृत्यों के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया गया है।

इस उत्सव में सम्पूर्ण उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों से आये हुए कलाकार मंच पर अपनी बेमिसाल लोक सांस्कृतिक कला की सतरंगी छटा बिखेरंगे।

इस उत्सव मेले को सफल बनाने में हमारे समाज की विभिन्न संस्थाएँ भी हमारा सहयोग करती है। न केवल गोर्खा समाज अपितु अन्य समाज के लोग भी इस आयोजन में उत्साहपूर्वक सहयोग एंव शिरकत करते है। प्रतिवर्ष इस उत्सव मेले की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। उत्तराखण्ड के अलावा देश के विभिन्न राज्यों के साथ ही नेपाल आदि देशों के लोग भी इस आयोजन में शिरकत करते है।

आपार जन समूह के स्वागत हेतू गोर्खाली महिला हरितालिका तीज कमेटी के सभी पदाधिकारी एंव सदस्यगण पूरे जोश एवं मेहनत के साथ कार्यरत है। लगभग सभी तैयारियाँ हो चुकी है। गणमान्य हस्तियों एंव वरिष्ठ गणमान्यों जनो को निमन्त्रण पत्र भेजे जा चुके है।

रविवार 28 अगस्त 2022 को प्रातः 10.30 बजे से यह उत्सव मेला महेन्द्र ग्राऊड गढ़ी कैन्ट में प्रारम्भ हो जायेगा। जिसमें राज्य के सीएम के साथ ही राज्य के मंत्री व विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेताओ के साथ ही विभिन्न शहरों, गाँव एवं दूर दराज के क्षेत्रों से लोग शामिल होंगें।

कार्यक्रम के सहयोगी प्रायोजक सूर्या फाउंडेशन ट्रस्ट, डी०पी०एम० हुण्डई, सोशल बलूनी क्लासेज, डी०डी० कॉलेज, उमंग साडी हाउस, देव साडी हाउस एंव पी०सी० ज्वैलर्स हैं।

समिति द्वारा ‘हरितालिका तीजव्रत कथा का संक्षिप्त परिचय’ गोर्खाली में इस प्रकार दिया गया है। निसमे कहा गया है कि हाम्रा समस्त व्रत पर्व हरू पौराणिक कथा अनुसार चलि आएका छन् यसै गरि गोर्खाली समाज का नारी हरूले अखण्ड सौभाग्य लाभ, र कन्या हरूले श्रेष्ठ वर को प्राप्ति का लागी अतिशय प्रेम श्रद्धा र विश्वास का साथ भाद्रशुक्ल तृतीया का दिन हरितालिका तीज नाम ले प्रसिद्ध व्रत र पूजन गर्छन् ।

शिव पुराण, लिंग पुराण आदि विभिन्न पुराण का अनुसार दक्ष पुत्री सती आफनो देह उत्सर्ग गरी हिमालय पुत्री पार्वती को रूप मा जन्मिईन् बाल्यावस्था बाटै शिव जी लाई पति को रूप मा प्राप्त गर्न घरै मा कठोर तपस्या आरम्भ गरिन् छोरी ले गरेको त्यो कठोर व्रत र तपस्या देखेर हिमालय को मन मा भारी क्लेश हुन्थ्यो। एक दिन नारद जी हिमालय का घरमा आयेर मने हिमालय ‘तिम्री छोरी को तप देखेर प्रसन्न भई श्री विष्णु जी ले विवाह गर्ने इच्छा ले मलाई दूत को रूप मा पठाउनु भएको छ’ एस बारे मा तिर्मो के मत छ ? हिमालय ले खुशी भयेर भने सर्वगुण सम्पन्न विष्णु जी संग मेरी छोरी को विवाह हुन्छ भने यो भन्दा ठुलो सौभाग्य मेरो के होला भन्दै नारद जी को प्रस्ताव लाई स्वीकार गरे यो खबर जब पार्वती ले सुनिन् तब उनका मन मा भारी धर्मसंकट र चिन्ता व्याप्त भयो सखी हरू लाई मन को सबै कुरा बताईन् “म सपना मा पनि शिव जी बाहेक कुनै पुरूष को चिन्तन र चाहना गर्दिन, शिव जी मात्र मेरा स्वामी हुनुहुन्छ” सखि हरू अब म के गरू? सखी हरू ले आश्वासन दिएर पार्वती लाई महावन मा लगेर लुकाए। “आलिभिः हरिता यस्मात् तस्मात् सा हरितालिका” ।। अर्थात्, आलिभिः सखि हरू द्वारा, हरिता-हरण गरिएकी त्यस कारण यो घटना बाट पार्वती को एक नाम ‘हरितालिका’ पनि प्रसिद्ध भयो।

पार्वती लाई खोज्दै पिता हिमालय वन वन भटकी रहेका थिए, उता पार्वती शिव जी को पर्थिव लिंग बनाएर विधि पूर्वक बेलपत्र फूल फल द्वारा अटूट प्रेम र विश्वास का साथ पूजा जप गरि रहेकी थिईन् शीत घाम सहेर साधना गर्दा गर्दै भाद्रपद शुक्लपक्ष तृतीया को दिन उपवास पूजा जप ध्यान रात्री जागरण कीर्तन गर्दा कैलाश मा शिवजी को आसन डोलाए पछि साक्षात् शिवजी प्रकट हुनु भयो र पार्वती लाई दर्शन दिएर वचन दिनु भयो एता हिमालय पनि आई पुगे र पार्वती लाई उनकै इच्छानुसार शिवजी संगै तिम्रो विवाह हुन्छ भनेर वचन दिए पछि पार्वती घर फर्किएर आईन् ।

कालान्तर मा शिवपार्वती को विवाह धूमधाम ले सम्पन्न भयो। नारी ले आपनो श्रद्धा विश्वास त्याग तपस्या प्रेम भक्ति द्वारा शिव को प्राप्ति को वृतान्त हो पतिव्रता नारी हरू को आदर्श का रूप मा पार्वती जी हुनुहुन्छ।

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