हर्षिता हरक सिंह रावत ओर सोनिया आनंद के कोरोना गीत की धमक उत्तराखण्ड से निकलकर पहुची दुनिया भर में

देहरादुन

उत्तराखण्ड से उपजा संगीत के क्षेत्र का बड़ा नाम है सोनिया आनंद
कभी हालातो से संघर्ष करने वाली प्रतिभा सोनिया आज प्रतिभाओं को आगे ले जाने में मग्न है ।उत्तराखण्ड ओर बॉलीवुड की जानी मानी गायिका सोनिया आनंद अपने सँघर्ष ओर उपलब्धियों के बारे में बताती है कि बचपन से बहुत संघर्ष किया है फिर 13 साल की उम्र से संगीत सीखना शुरू किया, उसके बाद स्टेज पर सिंगिंग शुरू की। सारेगामा का सफर तय किया ओर म्यूजिक टीचर की नौकरी भी की, 10 साल तक देश में प्रोग्राम कीये पीएचडी किया म्यूजिक से। गढ़वाली और हिंदी बॉलीवुड में अपने गीत गाए शान ,जगजीत सिंह,के साथ काम किए गुलाम अली ,सोनू निगम, अनु कपूर के साथ भी काम।किया। उत्तराखंड रतन सम्मान, अटल बिहारी बाजपाई सम्मान मिला ,2018 में राज पीएचडी की किताब भी पूरी होने वाली है जो स्वामी विवेकानंद जी पर आधारित है बहुत कुछ है

फिल्म बद्री में गाया है शाम के साथ केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री निशंक जी की बहुत सारी कविताएं , पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई जी की, गोपालदास नीरज जी की कविताएं गाई है।हाल ही में कोरोना का विध्वंश बढ़ने के बाद मन मे आया कि इस पर कुछ किया जाए।बस थोड़ी सी कोशिश की इसमे बेटी में भी बढ़चढ़कर हिम्मत दिखाई और बस सोचते-सोचते सोचती रही और गीत बन गया।फिर आयी बारी इसको सामने लाने की तो मैने,हर्षिता,गौतम आनंद और अमित कपूर ने इसको साकार कर ही दिया।इसको समय के हिसाब से बेहद पसंद किया जा रहा है। मेरी बेटी हर्षिता हरक सिंह रावत स्कूल में भी म्यूजिक सीखती है और डांस में भी ऑलराउंडर है उसे छोटे से ही गाने का बहुत शौक है उसकी आवाज़ तो जैसे दिल मे उतर जाती है।अपनी बेटी को हिंदुस्तान की बेहतरीन सिंगर के रूप में देखना चाहती हु।

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