मुंबई नौसेना से त्रिशूल पीक फतह को निकले 20 सदस्यीय दल में से कई ने गवां दी जान,4 के शव शनिवार तक रेस्क्यू

देहरादून

पहाड़ो की ऊंचाई ओर विशालता हमेशा से मनुष्य को एक कर जहाँ लुभाती हैं वहीं उसको चैलेंज भी देती रही है और मनुष्य ने इसको हमेशा रौन्दा भी है। परंतु कभी कभी प्रकृति भी खूद को साबित करने में कोई कसर नही छोड़ती है। कुछ ऐसा ही उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में हुआ। त्रिशूल पर्वत को फतह करने निकली टीम के 20 सदस्यों में से कइयों ने अपनी जान अचानक आये एवलांच में गवां दी। इनमें से 4 जवानों के शवों को शनिवार को निम और सेना के संयुक्त रेस्कयू अभियान के बाद बरामद कर बेस कैंप लाया गया है। जिसमे लेफ्टिनेंट कमांडर रजनीकांत यादव, लेफ्टिनेंट कमांडर योगेश तिवारी, लेफ्टिनेंट कमांडर अनंत कुकरेती और एमसीपीओ हरिओम शामिल हैं।टीम के बाकी सदस्यों की खोजबीन के लिए रेस्कयू अभियान जारी है। रविवार को जवानों के पार्थिव शरीर को हेलीकॉप्टर के जरिये नेवी सेंटर ले जाने के बाद उनके घरों के लिए भेज दिया जाएगा।

बताते चलें कि त्रिशूल चोटी आरोहण के दौरान हिमस्खलन (एवलांच) की चपेट में आए नौसेना के पांच पर्वतारोहियों में से चार के शव बरामद कर लिए गए। अभी नौसेना का एक पर्वतारोही और एक पोर्टर लापता है।

रेसक्यू के उपरांत इनकी पहचान लेफ्टिनेंट कमांडर रजनीकांत यादव, लेफ्टिनेंट कमांडर योगेश तिवारी, लेफ्टिनेंट कमांडर अनंत कुकरेती और हरिओम हरिओम एमसीपीओ के रूप में हुई है। मगर शनिवार सुबह ही रेस्क्यू आपरेशन से जुड़ी हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल गुलमर्ग (हवास) की पांच सदस्यीय टीम त्रिशूल पर्वत पर साढ़े पांच हजार मीटर ऊंचाई वाले इलाके में पहुंच गई है। रविवार सुबह यह टीम रेकी में दिखे पर्वतारोहियों को रेस्क्यू करने के लिए आगे बढ़ेगी। हवास को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रेस्क्यू आपरेशन की विशेषज्ञता हासिल है।

तीन सितंबर को मुंबई से नौसेना का 20 सदस्यीय दल त्रिशूल पर्वत की चोटी आरोहण करने के लिए रवाना हुआ। वर्ष 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे स्वर्णिम विजय वर्ष के तहत नौसेना के पर्वतारोही माउंट त्रिशूल अभियान पर निकले हैं। 7120 मीटर ऊंची यह चोटी उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में है। वीरवार को छह हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित कैंप-तीन से नौसेना के 10 पर्वतारोही आगे बढ़े। शुक्रवार सुबह करीब 6700 मीटर की ऊंचाई के आसपास दल के पांच सदस्य और एक पोर्टर एवलांच की चपेट में आ गए।

इस पर बाकी सदस्य अभियान रोक कर वापस कैंप में लौट आए। लापता सदस्यों की खोजबीन के लिए शुक्रवार दोपहर बाद से रेस्क्यू चल रहा है। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम), हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल गुलमर्ग (हवास), वायुसेना, थलसेना और एसडीआरएफ संयुक्त रूप से इसमें जुटे हैं।

निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि शनिवार सुबह त्रिशूल चोटी पर करीब 5700 मीटर ऊंचाई पर हिमस्खलन वाले क्षेत्र में चार व्यक्ति बर्फ में पड़े हुए दिखाई दिए। उनकी ओर से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दिखी है। दोपहर के समय हेलीकाप्टर के जरिये हवास के प्रशिक्षकों के साथ ही निम और सेना के जवानों का संयुक्त दल कैंप-एक के निकट पहुंचा। इस बीच, हवास के पांच सदस्यीय दल को 5500 मीटर की ऊंचाई पर बने कैंप-एक में उतारा गया। दल के कैंप-दो तक पहुंचने की सूचना है। रेकी में दिखे चार पर्वतारोही इससे कुछ दूरी पर ही हैं।आज सुबह दल के उन तक पहुंचने की उम्मीद है। इधर, नौसेना ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर दूसरे दिन के रेस्क्यू अभियान की जानकारी साझा की है।

शनिवार शाम तक मौसम ने रेस्क्यू दलों का साथ दिया, लेकिन उसके बाद मौसम ने समस्या जरूर पैदा की। उच्च हिमालयी क्षेत्र में रुक-रुक कर बर्फबारी भी हो रही है। हालांकि शनिवार को दिनभर रेस्क्यू टीमों ने चार हेलीकॉप्टर की मदद से करीब आठ बार उड़ान भरी। फिलहाल कंप 2 तक पहुंचने की सूचना है हो सकता है कुछ ही देर में रेस्कयू टीम पर्वतारोहियों तक पहुंच जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published.