नैनीताल हाई कोर्ट ने चारधाम यात्रा को कुछ शर्तों के साथ शुरु करने की इजाजत दी

देहरादून/नैनीताल

आखिरकार उत्तराखंड हाई कोर्ट से चारधाम यात्रा के कुछ शर्तों के साथ आरंभ करने की इजाजत मिल गयी है।

हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सरकार की याचिका परबुधवार को सुनवाई की। सुनवाई करते हुए आदेश में कहा गया है कि केदारनाथ में हर रोज 800, बदरीनाथ् में 1200, गंगोत्री में 600 और यमनोत्री धाम में 400 यात्रियों के ही जाने की इजाजत देनी होगी।

इसके अलावा इसमे विशेष बात है कि श्रद्धालुओं को कोविड निगेटिव सर्टिफिकेट और कोविड वैक्सीन के दोनों टीके लगाने के बाद धामों में जाने की इजाजत सरकार देगी। अदालत ने कहा है कि चारों धामों के किसी भी स्नान कुंड में किसी को स्नान करने की इजाजत नहीं होगी। जिन जिलों में ये धाम पड़ते हैं वहां यात्रा रूट पर आवश्यकतानुसार पुलिस बल तैनात करने के आदेश भी ​कोर्ट ने दिए हैं।

दुनिया भर में उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा पर कोरोना जैसे कारणों से रोक हटाने को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर बुधवार को सुनवाई हुई। सरकार की ओर से प्रार्थना पत्र दाखिल कर लगी रोक को हटाने का आग्रह किया गया था।

कोविड के मामलों में बढ़ोतरी, स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी व अन्य अव्यवस्थाओं से संबंधित जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने जून में चारधाम यात्रा पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी थी। इस आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका भी दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई नहीं हो पाई थी।

हाल ही में महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व सीएससी चंद्रशेखर रावत ने मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ से मौखिक रूप से यात्रा पर लगी रोक हटाने का आग्रह किया तो सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी विचाराधीन होने का हवाला देते हुए कोर्ट ने विचार करने से इन्कार कर दिया था, जिसके बाद सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस ले ली गयी थी। पिछले दिनों हाई कोर्ट को सरकार ने इस बारे में जानकारी दी तो कोर्ट ने 15-16 सितंबर की तिथि तय की थी।

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