पद्मभूषण, प्रो.जी.पी. तलवार से मिली सोशल एक्टिविस्ट सात्विका और उनसे अभिभूत हो उनकी उपलब्धियां मीडिया से शेयर की

देहरादून/दिल्ली

तलवार अनुसंधान फाउंडेशन, भारत के DSIR द्वारा मान्यता प्राप्त एक वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संगठन (SIRO) में निदेशक हैं।

सन 1965 से 1983 तक वे एम्स में प्रोफेसर एवं बायोकेमिस्ट्री के हेड रहे। वह संस्थापक निदेशक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी वेलकम प्रो.जॉन्स हापिंग वालेटीमोर, प्रो.ऑफ एमिनेंस इंटरनेशनल सेंटर ऑफ़ जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी,साथ ही 1994-99 तक निदेशक रहे। उनसे मिलने के बाद , उनकी उपलब्धियों को जान कर स्तंभ रह गई।

प्रो जी पी तलवार से मिलने पर सात्विका को नाना – नानी का स्मरण आ गया। शिक्षाविद एवम प्रख्यात समाज सेवी परिवार में जन्म लेकर खुद को धन्य महसूस करती सात्विका ने बताया कि मेरे नाना-नानी प्रो. लेख राज उल्फत और श्रीमती एच. साधना उल्फत बच्चों एवम् उनके हितेषियों के अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन
“नन्ही दुनिया” के संस्थापक थे।

डा. तलवार के बारे में वह बताती है कि प्रो अनगिनत पुरस्कारों पदको से नवाजे गए। वे प्रजनन की अंतर्राष्ट्रीय सोसाइटी आफ एमी नॉलेजी के अध्यक्ष एवं एशिया ओसियाना के प्रत्यक्ष विज्ञानी समाज के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुने गए । उनके उल्लेखनीय अनुसंधान योगदान कुष्ठ रोग जन्म नियंत्रण टीका और महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए वैक्सीन का निर्माण किया।
चिकित्सा विज्ञान और मानवता में उत्कृष्ट योगदान के लिए
प्रो.तलवार को भारत के राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम आज़ाद और फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा ऑफिसर डेला लीजन डी के सम्मान व पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

उन्होंने प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में 600 से अधिक प्रकाशन प्रकाशित किए हैं। वह 10 पुस्तकों और मोनोग्राफ के संपादक और लेखक हैं। उनके उल्लेखनीय अनुसंधान योगदान कुष्ठ रोग, जन्म नियंत्रण टीका, और महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए पॉलीहेरल माइक्रोबिसाइड्स के विकास के लिए इम्यूनोथेराप्यूटिक वैक्सीन हैं। ज़िन्दगी में एक अंतरराष्ट्रीय महापुरुष से मिलने के बाद खुद में परिवर्तन महसूस करती है सात्विका।

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