एम्स में दिल की धड़कन को स्वाभाविक गति देने के लिये फिजियोलोजीकल पेसिंग शुरू,सफलतापूर्वक महिला को लगाया परमानेंट पेसमेकर…निदेशक रविकांत

देहरादुन/ऋषिकेश अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश से दिल की धड़कन की धीमी गति के कारण चक्कर आने वे बेहोशी छाने की बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए राहतभरी खबर है। संस्थान के कॉर्डियोलॉजी विभाग की इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी स्पेशल ब्रांच में दिल की धड़कन को स्वाभाविक नेचुरल गति देने के लिए फिजियोलॉजिकल पेसिंग प्रक्रिया की सुविधा शुरू हो गई है। विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने दिल के कमजोर होने की वजह से पिछले एक साल से गंभीररूप से अस्वस्थ महिला के दिल में इस नई प्र​क्रिया से परमानेंट पेसमेकर इंप्लांटेशन में सफलता प्राप्त की है। खासबात यह है कि देश में किसी हृदय रोग से ग्रसित मरीज को आयुष्मान भारत योजना के तहत यह अत्याधुनिक तकनीक से युक्त पहला सबसे महंगा पेसमेकर लगाया गया है,जिसके लिए मरीज को अपनी ओर से कोई शुल्क वहन नहीं करना पड़ा। यह फिजियोलॉजिकल पेसिंग सबसे लेटेस्ट तकनीक पर आधारित है,देश के उत्तरीक्षेत्र में अब तक यह पेसमेकर कुल 20 मरीजों को लगे हैं जबकि उत्तराखंड में यह पहला मामला है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताते हैं कि संस्थान में मरीजों को वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि एम्स के कॉर्डियोलॉजी विभाग में हृदय संबंधी सभी तरह की जटिल बीमारियों का उपचार सुलभ है,जिससे हृदय संबंधी बीमारियों से ग्रसित मरीजों को हार्ट से जुड़ी किसी भी प्रकार की बीमारी के इलाज के लिए उत्तराखंड से अन्यत्र अस्पतालों में नहीं जाना पड़े। गौरतलब है कि लालढांग, हरिद्वार निवासी 65 वर्षीया महिला जिसे पिछले एक वर्ष से बार-बार चक्कर आकर गिरने की शिकायत थी,साथ ही वह अत्यधिक शारीरिक कमजोरी की वजह से ठीक से चल भी नहीं पाती थी। उक्त महिला उपचार के लिए बीते माह 24 अगस्त को एम्स ऋषिकेश पहुंची, जहां कॉर्डियोलॉजी विभाग द्वारा महिला का सघन स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। जिसमें चिकित्सकों ने पाया कि महिला के हार्ट की धड़कन पल्स रेट सामान्य स्थिति से काफी कम थी, जिसके कारण महिला के हृदय से मस्तिष्क तक रक्त संचार समान गति से नहीं हो पा रहा था, जिससे उसे बार -बार चक्कर आते थे व घर में सामान्य कामकाज करने व चलने फिरने में असमर्थ हो गई थी। लिहाजा एम्स के हृदय रोग विशेषज्ञाें ने महिला की धड़कन की गति को सामान्य करने के लिए उसे परमानेंट पेसमेकर (फिजियोलॉजिकल पेसिंग इंप्लांटेशन) का निर्णय लिया। इसके बाद हृदय रोग विभागाध्यक्ष प्रो. भानु दुग्गल के निर्देशन में वरिष्ठ इलेक्ट्रिक फिजियोलॉजिस्ट डा. शारदा शिवराम के नेतृत्व में एम्स की इलेक्ट्रो फिजियोलॉजी टीम द्वारा महिला रोगी के हृदय में परमानेंट पेसमेकर सफलतापूर्वक लगाया गया। कॉर्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. भानु दुग्गल ने बताया कि एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत के अथक प्रयासों से हृदयरोग विभाग में अत्याधुनिक कैथ लैब स्थापित की गई है, लैब के विस्तारीकरण के तहत इसी सितंबर माह में नवीनतम ईपी सिस्टम लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि एम्स का कॉर्डियो विभाग मरीजों को वयस्क कॉर्डियोलॉजी, बाल चिकित्सा कॉर्डियोलॉजी व इलेक्ट्रो फिजियोलॉजी की व्यापकस्तर पर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करा रहा है। डा. शारदा शिवराम ने बताया कि सामान्यत: जिन लोगों के हृदय का पेसमेकर हृदय की धड़कन को नियमित रूप से संचालित करने में सपोर्ट नहीं करता है अथवा जो लोग हृदयाघात जैसी गंभीर स्थितियों का सामना कर चुके हैं, ऐसे लोगों का हार्ट का इलेक्ट्रिकल सिस्टम खराब होने पर पेसमेकर काफी शिथिल अवस्था में कार्य करने लगता है। जिससे ऐसे लोगों को चक्कर आने, बेहोशी छाने, चलने फिरने में असमर्थता जैसी शिकायतें आम हो जाती है। लिहाजा जिन लोगों का हार्ट कमजोर होता है उनमें यह अत्याधुनिक तकनीक सर्वाधिक कारगर व सुरक्षित है। उन्होंने इसे हार्ट फेलियर के मामलों में भी काफी फायदेमंद बताया। इंसेट चिकित्सकों के अनुसार देश के उत्तरी क्षेत्र में परमानेंट पेसमेकर इंप्लांटेशन के अब तक कुल 20 मामले हुए हैं, जिनमें पूर्व में 19 मरीजों को इंप्लांट किए गए परमानेंट पेसमेकर मरीजों के खर्च पर लगाए गए हैं,जिन पर कुल खर्च दो लाख रुपए प्रति पेसमेकर आता है। उन्होंने बताया कि एम्स में महिला रोगी को इंप्लांट किया गया परमानेंट पेसमेकर देश में पहली मर्तबा आयुष्मान भारत योजना के तहत लगाया गया है,जिसके लिए रोगी को कोई शुल्क नहीं देना पड़ा। विभागाध्यक्ष प्रो. भानु दुग्गल ने बताया ​कि इस तरह के रोग से ग्रसित लोग चिकित्सकीय सहायता के लिए मंगलवार व गुरुवार को टेलिमेडिसिन ओपीडी नंबर 1800 180 4278,7302895044 पर सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक संपर्क किया जा सकता है।

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