किसानों को मंडी शुल्क से राहत,बीज पर सब्सिटी 50 के बजाए 75 प्रतिशत…कृषि मंत्री सुबोध उनियाल

देहरादून

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में कोरोना वायरस कोविड-19 के संक्रमण के दृष्टिगत राष्ट्रीय लाॅक डाउन से कृषि तथा उससे जुड़ी अन्य गतिविधियों (गेहूॅ कटाई, फसल क्रय, भण्डारण, मण्डी गतिविधियों औद्यानिकी, उर्वरक तथा मानवश्रम उपलब्धता इत्यादि) के प्रभावित होने के चलते किसानों-कास्तकारों को तत्काल विभिन्न तरीकों से राहत प्रदान करने और उनकी यथासंभव हल की जाने वाली समस्याओं के समाधान के सम्बन्ध में सम्बन्धित अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक आयोजित की गयी।
बैठक में कृषि मंत्री ने कहा कि भारत सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा कोरोना वायरस कोविड-19 संक्रमण से आहूत आपातकाल के चलते किसानों कास्तकारों को होने वाले विभिन्न तरह के नुकसान को हरसंभव उभारने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। भारत सरकार के दिशा-निर्देशों तथा राज्य सरकार द्वारा कृषकों के कल्याण के लिए अपने स्तर पर भी कुछ अहम् निर्णय लेकर किसानों को तत्काल राहत देने का प्रयास कर रही है।मंत्री ने बैठक में कहा कि कृषकों को मिलने वाले बीज में वर्तमान 50 प्रतिशत् सब्सिडी दी जाती है इसको 50 प्रतिशत् से बढाकर 75 प्रतिशत् किया गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में जहां फसलों-नकदी फसलों को विक्रय करने के लिए किसानों के पास बाजार पंहुच नहीं हैं। ऐसे अपूर्ण बाजारों का संचालन स्वयं सहायता समूह ( SHG ) के माध्यम से करने तथा समूहों को इसके लिए 2 लाख रू0 तक की सब्सिडी देने का भी निर्णय लिया गया साथ ही अपूर्ण बाजार की सम्पूर्ण गतिविधि को क्रियान्वित करने के लिए अपर सचिव कृषि रामविलास यादव की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया गया है और समिति में और्गेनिक बोर्ड, मण्डी समिति, कृषि, उद्यान से जुड़े अधिकारी भी सदस्य रहेंगे।
कृषि मंत्री ने कहा कि काॅपरेटिव सोसाईटिज जो अभी तक केवल रासायनिक उर्वरक के इनपुट किसानों को उपलब्ध करवाती थी अब इन सोसाइटिज के माध्यम से किसानों को जैविक इनपुट (जैविक बीज-उर्वरक इत्यादि) भी किसानों को उपलब्ध करवायी जायेंगी।
उन्होंने कहा कि लाॅक डाउन की अवधि के दौरान किसानों के जरूरी कार्यों को चायमान बनाये रखने के लिए भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अुनरूप यथासंभव जिलाधिकारियों को निर्देशित किया जायेगा कि इस अवधि में किसानों की बही खाता बुक व किसान के्रेडिट कार्ड इत्यादि को पास-पहचान के दस्तावेज के रूप में मान्यता दी जाय ताकि उनकी किसानी कार्यो की जरूरी गतिवधियाॅं संचालित होती रहें। साथ ही कृषकों की विभिन्न समस्याओं को प्राथमिकता आधार पर समाधान करने के लिए भी जिलाधिकारियों तथा अधीनस्थ विभागों को निर्देश दिये। उन्होंने फाॅर्मस मशीनरी बैंक की संख्या बढाने तथा किसानों के उत्पादों पर भण्डी शुल्क ना लेने अथवा उसमें यथासंभव कटौति करने के भी निर्देश दिये।
कहा कि किसानों की विभिन्न समस्याओं को दूर करने के लिए लगातार भारत सरकार से पहल की जा रही है। कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में बीज प्रमाणित नही होता, किन्तु परम्परागत रूप से प्राचीन समय से ही ट्रूथफुल होता है और उपयोग होता आया है। अतः राज्य सरकार द्वारा पर्वतीय परंपरागत बीज जो कि पंरपरागत ट्रूथफूल है को भी संशोधित श्रेणी में शामिल करने की पहल की गयी थी, जिसको भारत सरकार द्वारा सहमति प्रदान की गयी है, इससे पर्वतीय किसानों को अब पहले के मुकाबले अधिक लाभ होगा। इसी कड़ी में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा परंपरागत किसान योजना में बेहतर परिणाम देने के फलस्वरूप भारत सरकार द्वारा उत्तराखण्ड को इस योजना की दूसरी किस्त भी सबसे पहले जारी कर दी है। लाॅक डाउन की अवधि में पुष्प उत्पादकों और मशरूम उत्पादों को बहुत नुकसान हुआ है और उनके इस नुकसान की भरपाई हेतु भारत सरकार के कृषि मंत्रालय से जरूरी पहल की जा रही हैं।
इस दौरान समीक्षा बैठक में अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देश दिये कि किसानों-काश्तकारों और इससे जुड़े सैक्टर्स के लोगों की विभिन्न समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर संज्ञान लेते हुए समाधान करें और इस सम्बन्ध में यदि उच्च स्तर पर किसी सहायता-परामर्श की जरूरत पड़ती है तो उस सम्बन्ध में पहल करें।
इस अवसर पर सचिव कृषि आर मीनाक्षी सुन्दरम, अपर सचिव राम विलास यादव, कृषि निदेशक गौरी शंकर, मण्डी सचिव विजय थपलियाल सहित सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।

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