संविधान दिवस पर आयोजित ‘‘संविधान में गांधी की सोच एवं अम्बेडकर के विचार तथा संविधान निर्माण में कांग्रेस की भूमिका’’ विषय पर गोष्ठी में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने प्रतिभाग किया।

देहरादून

उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा आज संविधान दिवस के अवसर पर प्रदेशभर के जिला एवं शहर मुख्यालयों सहित विभिन्न स्थानों में कार्यक्रमों का आयोजन कर ‘‘भारत का संविधान निर्माण दिवस’’ मनाया गया।

कार्यक्रम के तहत प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में ‘‘संविधान में गांधी की सोच एवं अम्बेडकर के विचार तथा संविधान निर्माण में कांग्रेस की भूमिका’’ विषय पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह सहित वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने प्रतिभाग किया।

भारत के संविधान के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि भारत का संविधान भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को समाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ संकल्प होकर संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मर्पित किया गया।

हरीश रावत ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने कहा था संविधान केवल वकीलों का दस्तावेज नही है यह जीवन का वाहन है और इसकी भावना हमेशा उम्र की भावना है। 26 नवम्बर भारत में संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। 26 नवम्बर, 1949 को हमारे देश के लिए एक ऐसा ऐतिहासिक दिन का प्रतिबिम्ब है जिसने हमारे देश के प्रतिनिधियों और नागरिकों को एक संविधान दिया। भारत के संविधा ने एक नये स्वतंत्र भारत की आकांक्षाओं को प्रतिबिबित ही नहीं किया बल्कि वंचित और पिछड़े लोगो को एक आवाज प्रदान की। हमारे संविधान ने एक ऐसे आधुनिक भारत की नींव रखी जहां हर एक भारतवासी और उनके अधिकार सर्वोच्च थे। इन अधिकारों के साथ कर्तव्य और कानून को एक राजनैतिक उपकरण प्रदान किया। उन्होंने कहा कि भारत में अग्रेजों का साम्राज्य अराजकता और अत्याचार का काल था जहां उनके अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को जेल में डाल दिया जाता था। अंग्रेजों द्वारा बनाये गये विधायी निकायों में भी भारतीयों को न्यूनतम प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाता था जिसके खिलाफ लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने स्वराज और स्वशासन की मांग की। महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्वराज की तलाश में जनता को लामबन्द किया। उनकी इसी मांग को आगे बढाते हुए कंाग्रेस ने 1928 में नेहरू रिपोर्ट को अपनाया। नेहरू जी की रिपोर्ट ने समानता पर आधारित एक धर्मनिरपेक्ष भारत की कल्पना की जो उसके 20 साल बाद संविधान के रूप में स्वीकार हुई।

नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने अपने संबोधन में कहा भारत की ऐतिहासिक स्वतंत्रता के एक दिन पहले हमारे संविधान को तैयार करने के लिए जिस संविधान समिति का गठन किया गया था उसमे सभी क्षेत्रों और विभिन्न समुदायों के लोगों को शामिल किया गया जो सामाजिक, सांस्कृतिक और पेशेवर विविधता का प्रतिनिधित्व करते थे। समिति में विभिन्न पृष्ठभूमि और जातियों की महिलाओं जिनका लक्ष्य महिलाओं को समान प्रतिनिधित्व और अधिकार दिलाना था। उन्होने कहा पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने संविधान का उद्देश्य प्रस्तुत किया जिसमें संविधानसभा की आकांक्षाओं, दर्शन, आदर्श और उद्देश्य निर्धारित थे। पण्डित नेहरू ने कहा था आज आपके सामने जो प्रस्ताव रखा गया है उसके अन्तनिर्हित विषय के रूप में समानता है। हम सभी समुदायों के साथ न्याय करेंगे और उन्हें उनके सामाजिक और धार्मिक मामलों में पूरी आजादी देंगे। उन्होने कहा महात्मा गांधी जी के सिद्वांत भारतीय संविधान में परिलक्षित हुए जिसमें समावेश, एकता, साम्प्रदायिक सद्भाव और लोकतांत्रिक सिद्धांतों जैसे विकेन्द्रीकरण और पंचायती राज, समानता और बंधुत्व के नैतिक सिद्धांत, भारतीय संविधान का अभिन्न अंग बने।

प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर एवं संविधानसभा ने हमारे देश को एक ऐसा गणराज्य घोषित किया जहां देश के लोग सर्वोच्च शक्ति रखते हैं। संविधान की प्रस्तावना का ‘हम’ शब्द इंगित करता है कि इस देश के लोग सरकार को शक्ति देते हैं और यह अपना अधिकार लोगों की इच्दा से प्राप्त करता है। हमारा संविधान समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और न्याय की आकांक्षाओं को आवाज देता है। संविधान का उद्देश्य जाति, वर्ग, नस्ल, लिंग और धर्म के आधार पर भारत में मौजूद विशाल असमानताओं को दूर करना और सभी क्षेत्रों में सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करना था। बाबा साहब द्वारा बनाये गये संविधान में समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, जीवन का अधिकार, शोषण के खिलाफ अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार, संवैधानिक उपचार का अधिकार संविधान में प्रदत्त किया।

गणेश गोदियाल ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने कहा था शिक्षित बनो, संगठित रहो, विवेकशील रहो, संघर्ष करो। उन्होने कहा बाबा साहब ने अपने अंतिम भाषण में चेतावनी दी थी कि यदि संविधान का अक्षरशः पालन नहीं किया गया तो भारत एकबार फिर से अपनी स्वतत्रंत्रता खो देगा। उन्होंने कहा था कि संविधान स्वयं दस्तावेज पर नही बल्कि इसे क्रियान्वित करने के प्रभारी लोगो के प्रभाव पर निर्भर है। उन्होंने कहा था राजनीति में नायक-पूजा गिरावट और तानाशाही का एक गारंटीकृत मार्ग होगा और केवल राजनीतिक लोकतंत्र पर्याप्त नहीं होगा, हमें समाजिक लोकतंत्र को प्राप्त करने की आकांक्षा भी रखनी होगी। उन्होंने कहा कि आज कुछ ताकतों द्वारा भारत के संविधान में उल्लिखित अधिकारों से खिलवाड किया जा रहा है कांगे्रस पार्टी को इन अधिकारों की रक्षा करनी है।

समारोह के अध्यक्ष नानक चन्द ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि हमको डाॅ. सहाब के बताये हुए रास्ते पर चलकर देश को विकास की ओर ले जाने का काम करना है।

कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट, शूरवीर सिंह सजवाण, मातवर सिंह कण्डारी, पूर्व विधायक पूर्व एमएलसी पृथ्वीपाल सिंह चौहान, राजकुमार, महामंत्री संगठन मथुरा दत्त जोशी, डाॅ0 आर0 पी0 रतूड़ी,गरिमा महरा दसौनी, महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री अनूपमा रावत, महानगर अध्यक्ष लालचन्द शर्मा, प्रभुलाल बहुगुणा, अर्जुन कुमार, राजेन्द्र शाह, नवीन जोशी, राजेश चमोली, दर्शन लाल, देवेन्द्र सिंह, खष्टी बिष्ट, मीडिया सलाहकार अमरजीत सिंह, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया सलाहकार सुरेन्द्र अग्रवाल, महिला अध्यक्ष कमलेश सुरेन्द्र सिंह रांगड़, रमन,मोहन महिला अध्यक्ष कमलेश रमन,पूरन सिह रावत, महावीर सिंह रावत, कुमार काला, राजेश शर्मा, शोभाराम, महानगर, नसीव राव, सेवादल के चीफ राजेश रस्तोगी, सवित्री थापा, ललित भद्री, निहाल सिह, आदर्श सूद, सुधीर सुनेहरा, अनिल रावत, नेमचन्द,आदेश कुमार, सुरेश कुमार आदि उपस्थित थे।

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