हड्डी एवम जोड़ रोग विशेषज्ञों के साझा अनुभव का लाभ मरीजो के उपचार में मिलेगा…..एम्स निदेशक रविकान्त

देहरादून/ऋषिकेश
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में आयोजित नॉर्थ जोन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के सम्मेलन में देश-विदेश से पहुंचे आर्थोपेडिक विशेषज्ञों ने हड्डी एवं जोड़ रोग के इलाज में नवीनतम तकनीक और उपचार के विभिन्न तौरतरीकों पर चर्चा की और अपने अनुभव साझा किए। तीन दिवसीय सम्मेलन का शनिवार को एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर निदेशक एम्स ने कहा कि हड्डी रोगों के संपूर्ण और सफल उपचार के लिए विश्व स्तर की नई से नई तकनीक को एम्स में उपलब्ध कराया जाएगा जिससे आम गरीब मरीज को भी बेहतर और सस्ता इलाज मुहैया कराया जा सके ।
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि सम्मेलन में देश-दुनिया के आर्थोपेडिक विशेषज्ञों के अनुभव साझा होने से चिकित्सीय क्षेत्र के साथ ही हड्डी एवं जोड़ रोग के मरीजों के उपचार में भी लाभ पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि गरीब लोगों को समुचित और सस्ता इलाज मुहैया कराना ही एम्स का उद्देश्य है। निदेशक प्रो.रवि कांत ने कहा कि एम्स में अध्ययनरत पीजी के छात्रों और प्रशिक्षु चिकित्सकों को तकनीक और अनुभव हासिल कराने के लिए संस्थान विदेशों में प्रशिक्षण दिलाने को तैयार है जिससे उनके अनुभव का लाभ संस्थान में आने वाले रोगियों को मिल सके । उन्होंने बताया कि विश्वभर की नवीनतम तकनीक और अनुभव को साझा करने से हड्डी रोगों के निदान में विशेष लाभ होगा। उन्होंने इस सम्मेलन को अत्यधिक लाभदायक बताया । संस्थान की हड्डी रोग विभाग की प्रोफेसर शोभा एस.अरोड़ा ने सात वर्षों में विभाग की उत्तरोत्तर प्रगति की जानकारी दी।
संस्थान के हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डा. पंकज कंडवाल जी ने कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से तकनीक और अनुभव को साझा करने से न केवल उत्तराखंड बल्कि अन्य राज्यों के मरीज लाभान्वित हो सकेंगे। सम्मेलन में विशेषज्ञों ने रोबोट की सहायता से गठिया से ग्रसित जोड़ों को बदलने की विधि, 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में गठिया रोग से ग्रस्त घुटने के आधे जोड़ के प्रत्यारोपण की विधि का प्रशिक्षण, हड्डियों में कैंसर के कारण और क्षतिग्रस्त हो चुके जोड़ों का पुनर्निर्माण का प्रशिक्षण, एक्सटर्नल स्टेबलाइजेशन सिस्टम के माध्यम से विकृत अंगों को सीधा करना, जन्मजात टेढ़े हाथ-पैरों को सीधा करना व हड्डियों के फ्रैक्चर का बिना चीरा लगाए ऑपरेशन करने की विधियों पर अनुभव साझा किए गए, साथ ही प्रशिक्षण कार्यक्रमों का भी आयोजन हुआ। जर्मनी से आए डॉ फ्रांक गोहल्के,
डॉ.सौविक पौल. इंग्लैण्ड के डा.राजेश नन्दा, एम्स ऋषिकेश के प्रो. कमर आजम ने कंधे के जोड़ की नवीनतम पद्धतियों पर प्रकाश डाला। दूसरे सत्र में डा. सौविक पॉल ने जोड़ों के इलाज में एमआरआई के उपयोग की महत्ता बताई। एम्स ऋषिकेश के डा.विवेक सिंह व हल्द्वानी के डा. पीएस भंडारी ने नसों की चोट के इलाज में नसों के स्थानान्तरण की विधि के साथ-साथ मांसपेशियों के स्थानान्तरण से ब्रेकियल पलेक्सस की चोट के कारण कमजोर हो चुके हाथ के इलाज के बारे में बारीकी से बताया। डा. तरुण गोयल ने कूल्हे के जोड़ के ऑपरेशन की विधि पर व्याख्यान दिया। एम्स दिल्ली के डा. विजय कुमार व पीजीआई चंडीगढ़ के डा. रमेश ने कूल्हे के जोड़ में मांसपेशियों के संतुलन की विधि पर व्याख्यान दिया। डा. मोहित ढींगरा ने शुरुआती अवस्था में हड्डी कैंसर की पहचान करने तरीकों पर अनुभव साझा किए। कार्यशाला में परमार्थ निकेतन की साध्वी भगवती सरस्वती विशेष रूप से शामिल रही। इंग्लैण्ड के डा. सुनील धार, डा. संदीप कूपर, एम्स ऋषिकेश की वरिष्ठ प्रोेफेसर डा. शोभा अरोड़ा, डा. विवेक सिंह, डा. आरबी कालिया, डा. भास्कर सरकार, डा. प्रदीप मीणा, डा. मोहित धींगरा, डा. सुधीर कपूर, डा. सैय्यद इफ्तेकार आदि ने भी अपने अनुभव साझा किए।

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