राजधानी के सिटी महासंघ ने सचिव संभागीय परिवहन प्राधिकरण को ज्ञापन सौंप दिए सुझाव कहा डीजल चालित सिटी बसों को प्रतिस्थापन कर नई सीएनजी बसों की खरीद को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली रोजगार योजना में 50 प्रतिशत सब्सिडी के साथ सम्मिलित की जाएं

देहरादून

सिटी महासंघ के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने बताया कि आरटीओ को सौंपे गए ज्ञापन में हम मांग कि है की भारत सरकार की नई कमर्शियल ट्रांसपोर्ट पालिसी में कॉमर्शियल वाहनों की आयु 15 वर्ष निर्धारित की है एवं कुछ शर्तों के साथ उसकी आयु सीमा छ छः माह के अंतराल में बढ़ाई जा सकती है।

भारत सरकार का यह आयु सीमा का नियम कमर्शियल वाहनों से निकलने वाले वायु प्रदूषण को लेकर है। इसको लेकर सिटी बस सेवा महासंघ भी चिंतित है क्योंकि देहरादून शहर स्मार्ट सिटी बनने की ओर अग्रसर है और केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के सहयोग से देहरादून शहर में वायु प्रदूषण रहित इलेक्ट्रिक बस चलाने की योजना पर कार्य किया गया है।

यदि वाकई राज्य सरकार देहरादून शहर को वायु प्रदूषण से मुक्त होने के ध्येय के साथ कार्य कर रही है और देहरादून शहर में चलने वाली 30 इलेक्ट्रिक बसों को भारी भरकम सब्सिडी देकर स्मार्ट सिटी देहरादून में चलाई जा रही हैं। तो हम भी राज्य सरकार की वायु प्रदूषण रहित योजना में सीएनजी बसों के माध्यम से योगदान देने को तैयार है।

बशर्ते राज्य सरकार हमें भी किसी भी सरकारी योजना जैसे वीरचंद गढ़वाली रोजगार योजना में सम्मिलित कर 50 प्रतिशत सब्सिडी के साथ एवं बाकी आधी धनराशि को कम ब्याज की स्कीम देकर हमें राहत प्रदान कर सकती है।

इससे ना तो हमारे राज्य के लोगों का रोजगार छिनेगा और इससे जुड़े जो सैकड़ो लोग किसी ना किसी रूप में हमारे वाहनों के साथ सम्मिलित है उनका रोजगार भी छीनने से भी बच जाएगा क्योंकि वर्ष 2024 तक 90 प्रतिशत सिटी बसें केंद्र सरकार के कानून के तहत 15 वर्ष पूरी कर चुकी होगी।

डंडरियाल ने कहा कि कोविड-19 के पश्चात बदहाल स्टेज कैरिज यात्री वाहनों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। आपके सानिध्य में इन वाहन स्वामियों की आर्थिक स्थिति सुधारने के साथ साथ देहरादून स्मार्ट शहर को प्रदूषण मुक्त रहित करते हुए सिटी बस वाहन स्वामी, चालक, परिचालक, इंटर पेंटर, टायर हवा भरने वाला, स्पेयर पार्ट्स वाला, ग्रीस वाला, वाहन धुलाई वाला, इत्यादि इत्यादि लोगों के रोजगार को भी बचाया जा सकता है।

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