बाबा केदारनाथ और यमनोत्री धाम के कपाट विधि विधान के साथ बन्द किये गये,19 को बन्द होंगे बद्रीनाथ के कपाट

देहरादुन/रुद्रप्रयाग

द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम के कपाट बर्फबारी के बीच शीतकाल के लिए सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, राज्य मंत्री धन सिंह रावत आदि मौजूद थे।

केदारनाथ धाम के कपाट सोमवार सुबह 5.30 बजे शीतकाल के लिए विधि-विधान के साथ गर्भ गृह के कपाट बंद कर दिए गए। इस दौरान मंदिर के गर्भ गृह के कपाट तो बंद कर दिए गए, लेकिन लगातार हो रही बर्फबारी के कारण मंदिर के द्वार और डोली प्रस्थान में थोड़ी देर हुई।

बाबा केदार पंचमुखी भोगमूर्ति चल विग्रह डोली में विराजमान होते हुए शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करते हुए पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेंगे, जबकि 18 को बाबा केदार पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में छह माह की पूजा-अर्चना के लिए विराजमान हो जाएंगे।

भैयादूज के पावन पर्व पर सुबह दो बजे से ही केदारनाथ में विशेष पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी। मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग द्वारा बाबा केदार के स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को समाधि रूप देकर भष्म से ढक दिया गया।

सुबह 4 बजे भोगमूर्ति को चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान करते हुए भक्तों के दर्शनार्थ मंदिर परिसर में रखा गया। साथ ही अन्य धार्मिक औपचारिकताओं को पूरा करते हुए सुबह 5.30 बजे मंदिर के गर्भगृह के कपाट बंद किए गए।

सोमवार को भैया दूज पर यमुनोत्री धाम के कपाट विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। यमुनाजी की उत्सव मूर्ति को डोली यात्रा के साथ खरसाली गांव चल दी है। खरसाली में यमुना मंदिर सजकर मॉन के स्वागत के लिए तैयार है।

बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू

शीतकाल के लिए भगवान बदरीनाथ के कपाट बंद होने की प्रक्रिया रविवार से पंच पूजाओं के साथ शुरू हो गई। अपराह्न तीन बजे विधिवत पूजा के बाद गणेश मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने से पहले पंच पूजाएं की जाती हैं।

इस साल 19 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होंगे। इसके तहत रविवार को पूजा के बाद गणेश मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। 16 नवंबर को आदिकेदार के कपाट बंद होंगे। 17 नवंबर को वेद ऋचाओं का वाचन बंद होगा और 18 नवंबर को महालक्ष्मी पूजा होगी।

उसके बाद 19 नवंबर को विधि विधान के साथ शाम 3:35 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। 20 नवंबर सुबह साढे़ नौ बजे उद्धव व कुबेर का पांडुकेश्वर और रावल व आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी। 21 नवंबर सुबह 10 बजे श्री योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर से आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी।

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