भर्ती मामले में 250 तदर्थ नियुक्तियों की पहचान कर गठित जांच कमेटी ने उन्हें रद्द करने की सिफारिश… अध्यक्ष विधानसभा ऋतु भूषण खंडूरी

देहरादून

भर्ती प्रकरण पर नियुक्तियों को लेकर गठित जांच समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद विधान सभा अध्यक्ष ने रिपोर्ट मीडिया के सामने की सार्वजनिक

मैंने 3 सितम्बर को जांच समिति गठित करते हुए कहा था कि युवाओं को निराश नहीं होना है और मेरा पूरा प्रयास रहेगा कि मैं प्रदेश के युवाओं के आशाओं व अपेक्षाओं पर खरी उतरने का प्रयास करूगीं। मैंने यह भी कहा था कि मैं अनियमितताओं को लेकर कठोर निर्णय लेने में संकोच नहीं करूगीं ।

आज 23 सितम्बर है और ठीक बीस दिन पहले 3 सितम्बर को यहीं पर हम-आपने बातचीत की थी। तब मैने यह वादा भी किया था कि जल्दी ही आपसे फिर मुलाकात होगी।

मुझे कल देर रात ही विशेषज्ञ समिति से जॉच रिपोर्ट प्राप्त हुई है। समिति ने सराहनीय कार्य किया है और निर्धारित अवधि के पूर्व ही रिपोर्ट सौप दी है।

पूरी रिपोर्ट 214 पेज की है। लेकिन इसमे सलंग्नक भी शामिल हैं, जबकि केवल रिपोर्ट का अंश 29 पेज का है। समिति ने विधान सभा सचिवालय के रिकार्ड का परीक्षण करने पर यह पाया है कि वर्ष 2016 तक, वर्ष 2020 तथा वर्ष 2021 में जो तदर्थ नियुक्तियां की गयी उनमें अनियमितताए थीं तथा इन भर्तियों में विभिन्न पदों के लिये निर्धारित नियमों का पालन नहीं हुआ है। समिति ने विभिन्न न्यायालयों द्वारा नियम विरूद्ध भर्तियों के सम्बन्ध मे समय-समय पर दिये गये आदेशों का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है कि निम्नलिखित कारणों से नियमों के विरूद्ध की गयी इन तदर्थ नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जाए। समिति ने वर्ष 2016 तक 150 तदर्थ नियुक्तियों, वर्ष 2020 में 06 तदर्थ नियुक्तियों तथा वर्ष 2021 में 72 तदर्थ नियुक्तियों की पहचान कर उन्हें निरस्त करने की सिफारिश की है। समिति ने इस संबंध में जो कारण बताए हैं, वह इस प्रकार है…

1 सेवा के विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के लिये निर्धारित चयन समिति का गठन नहीं किया गया। इस प्रकार यह तदर्थ नियुक्तियां चयन समिति के माध्यम से नहीं की गयी है।

2 तदर्थ नियुक्ति किये जाने हेतु कोई विज्ञापन नहीं दिया गया और न ही कोई सार्वजनिक सूचना दी गयी और न ही रोजगार कार्यालय से नाम मंगाये गये।

3 तदर्थ नियुक्ति किये जाने हेतु इच्छुक अभ्यर्थियों से आवेदन पत्र नहीं मांगे गये, केवल व्यक्तिगत आवेदन पत्रों पर नियुक्ति प्रदान कर दी गयी।

4 तदर्थ नियुक्ति किये जाने हेतु कोई प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित नहीं की गयी ।

5 इन तदर्थ भर्तियों के लिये सभी पात्र एवं इच्छुक अभ्यर्थियों को समानता का अवसर प्रदान नही करके भारत के संविधान के अनुच्छेद-14 एवं अनुच्छेद-16 का उल्लंघन हुआ है ।

जाँच समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया है कि कार्मिक विभाग के 06 फरवरी, 2003 के शासनादेश द्वारा विभिन्न विभागों के अन्तर्गत तदर्थ/संविदा/नियत वेतन / दैनिक वेतन पर की जाने वाली नियुक्तियों पर रोक लगाई गयी है। उक्त 06 फरवरी, 2003 के शासनादेश में व्यवस्था उपबन्धित है कि श्रेणी ग तथा घ के किसी भी पद पर दैनिक वेतन / तदर्थ / संविदा / नियत वेतन पर नियुक्ति नहीं की जायेगी। इस प्रकार की नियुक्तियों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा ।

पत्रकार बंधुओ, इतनी विस्तृत जानकारी शेयर करने से यह लाभ होगा कि जांच समिति की सिफारिशों के अनुरूप विधान सभा अध्यक्ष के रूप में मैनें जो निर्णय लिये हैं, उनको समझने में आसानी रहेगी।

विधान सभा अध्यक्ष के रूप में जांच समिति की अनुशंसा को स्वीकार करते हुए वर्ष 2016 तक की 150 तदर्थ नियुक्तियों को, वर्ष 2020 की 06 तदर्थ नियुक्तियों को तथा वर्ष 2021 की 72 तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने का निर्णय लिया है।चूंकि इन तदर्थ नियुक्तियों को शासन का अनुमोदन प्राप्त है, अतः नियमानुसार इन तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने के लिये शासन का अनुमोदन लेना आवश्यक है। इन नियम विरूद्ध तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने के लिये अनुमोदन हेतु मैं शासन को तत्काल प्रस्ताव भेज रही हूँ। अनुमोदन प्राप्त होते ही नियम विरूद्ध तदर्थ नियुक्तियां तत्काल समाप्त कर दी जाएगी।इसी प्रकार उपनल द्वारा की गयी 22 नियुक्तियों को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त कर रही हूँ ।

मैं आपको यह जानकारी भी देना चाहती हूँ कि विधान सभा सचिवालय द्वारा वर्ष 2021 में 32 विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के लिये आवेदन पत्र मंगाये गये थे, जिसके लिये इस वर्ष 20 मार्च को लिखित परीक्षा भी आयोजित की गयी थी जिसका परिणाम अभी तक घोषित नहीं हुआ है।

इस परीक्षा के लिये लखनऊ की एक प्राईवेट एजेंसी मैसर्स आर०एम०एस० टेक्नोसोल्यूशनस प्रा० लि० का चयन किया गया। इस एजेंसी के कार्यकलाप विवादों में रहे हैं और इस पर पेपरलीक के गंभीर आरोप भी लगे हैं जिसके चलते कम से कम 5 प्रतियोगिता परीक्षा शासन को रदद करनी पड़ी है और अनेक गिरफतारिया भी विधान सभा सचिवालय में नियमों/प्रावधानों का उल्लघंन करते हुए इस एजेंसी का चयन किया गया है इसमे अनेक वित्तीय अनियमितताए भी पायी गयी हैं ।

उपलब्ध जानकारी अनुसार इस एजेंसी को बिल प्राप्त होने के 02 दिन के अन्दर बैंक से 59 लाख रूपये का भुगतान भी जारी कर दिया गया जिसमें विधान सभा सचिव की भूमिका भी संदेहास्पद पायी गयी है।इस परिपेक्ष्य में विधान सभा अध्यक्ष के रूप में मैने यह निर्णय लिया है कि इन 32 पदों पर हुई परीक्षा को निरस्त किया जाता है तथा एजेंसी की भूमिका की जाँच की जाएगी तथा नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। विधान सभा अध्यक्ष के रूप में मैने यह भी निर्णय लिया है कि इस पूरे प्रकरण में विधान सभा सचिव की संदिग्ध भूमिका की जांच की जाए। जांच पूरी होने तक श्री मुकेश सिंघल को तत्काल प्रभाव से निलम्बित किया जाता है, तत्संबंधी आदेश जारी किये जा रहे है। जॉच समिति की रिपोर्ट में दी गयी विभिन्न सिफारिशों और सुझावों पर कार्रवाई जारी रहेगी।
इसमें विधान सभा सचिवालय में कर्मचारियों/अधिकारियों की right sizing, e-office, e-vidhan, पदोन्नति तथा सेवा नियमों में सुधार शामिल हैं। वर्ष 2016 तक की 150 तदर्थ नियुक्तियों की वर्ष 2020 की 6 तदर्थ नियुक्तियों को तथा वर्ष 2021 की 72 तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने के मेरे निर्णय के अनुमोदन के लिये प्रस्ताव शासन को तत्काल भेज रही।

वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा में हुई भर्तियों के मामले में उच्च स्तरीय समिति की संस्तुति पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा वर्ष 2016 से 2021 तक हुई तदर्थ भर्तियों को निरस्त करने के निर्णय का स्वागत किया है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खण्डूड़ी भूषण को त्वरित जांच कर निर्णय लिये जाने पर बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान में सदन और सरकार एकजुट है।

उत्तराखंड को भ्रष्टाचार मुक्त राज्य बनाने की दिशा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार लगातार काम कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार सुशासन की दिशा में कृत संकल्पित होकर काम कर रही है। किसी भी प्रकार से कोई भ्रष्टाचार सहन नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने अधिनस्थ सेवा चयन आयोग व अन्य भर्तियों में अनियमितता पाए जाने पर उन्हें पारदर्शिता से आयोजित करने के लिए उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग को हस्तांतरित की। अब नए सिरे से पारदर्शिता के साथ परीक्षा प्रक्रिया गतिमान है। उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग ने प्रथम चरण की परिक्षाओ की तिथियों का कैलेण्डर भी जारी कर दिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश के युवाओं के साथ कोई अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने युवाओं से पूरे उत्साह और परिश्रम से परिक्षाओ की तैयारी में जुट जाने का अनुरोध किया। वर्तमान में 7000 परिक्षाओ की भर्ती प्रक्रिया गतिमान है। इसके अलावा 12 हजार से अधिक पदों पर भर्ती की कार्ययोजना पर भी काम कर रहे हैं।

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