जब महिला और पुरूष को समानुपात से देखने में समाज सक्षम होेगा तब महिला दिवस, बेटी बचाओ-बेटी पढाओ जैसे अभियान की जरूरत नहीं होगी…डीएम आशीष

देहरादून अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पूर्व जनपद स्तरीय महिला अधिकारियों और महिला कार्मिकों द्वारा ‘जेन्डर इक्वल्टी’ विषय के सम्बन्ध में जिलाधिकारी डाॅ आशीष कुमार श्रीवास्तव से वार्ता की गयी और अपने विचार आदान-प्रदान किये। बाल विकास विभाग के तत्वाधान में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित वार्ता में जिलाधिकारी ने सभी महिला कार्मिकों को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की अग्रिम शुभकामनायें देते हुए ‘जेन्डर इक्वल्टि (लिंग समानता) समाज निर्माण में अपना प्रभावी योगदान करने की अपेक्षा की। उन्होंने महिलाओं को मोटिवेट करते हुए कहा कि महिला किसी भी दशा में किसी भी कार्य को करने में पुरूषों से कतई कमतर नही हैं, बल्कि जहां महिला की लीडरशिप होती है उस कार्य की प्रगति पुरूष लीडरशिप के मुकाबले अधिक देखी जा सकती है।
परिवार में तथा फ़्रेंड सर्किल में इस संदेश को जरूर पंहुचाया जाय कि महिला-पुरूष कोई भी कार्य करते हों तो उसको प्रत्येकदशा में सामान्य व संतुलित तरीके से लिया जाय। इसके अतिरिक्त प्रयास करें कि स्वयं और अपने अधीनस्थों के माध्यम से जिम्मेदारी लें कि जनपद में यदि कोई वरिष्ठ नागरिक निरक्षर मिलते हैं तो प्रयास किया जाय की वह भी कम से कम अपने हस्ताक्षर सवयं कर सकें, साथ ही साक्षरता हेतु सभी को प्रेरित करें। डीएम ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में जनपद के विभिन्न कार्यालयों में कार्यलयाध्यक्ष /प्रभारी अधिकारी नामित की गयी 40 बालिकाओं को ससम्मान सहित उनके आवास से सरकारी वाहन से लायें, अपने-अपने कार्यालयों में उनको विशेष सम्मान देते हुए पूरे दिन की गतिविधियां दिखायें तथा ससम्मान सरकारी वाहन से उनके घर भी भेजें, जिससे उनको प्राउड फिल हो। इससे ये बालिकायें सरकार की व प्रशासन की कार्यशैली से भी परिचित होंगी तथा उनको प्रशासन के अनुभव की झलक मिलने से उनके आत्मसम्मान तथा आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जब ये बालिकायें अपने अनुभव दूसरों से साझा करेंगी तो वे बालिकायें और महिलाएं भी मोटिवेट होंगी और ‘जेन्डर इक्वल्टि’ बढाने में इससे अधिक सहायता मिलेगी।
इस दौरान मुख्य विकास अधिकारी नितिका खण्डेलवाल ने कहा कि अधिकतर देखा गया है कि महिला अधिकारी के पास अपने काम से आने को जनता और विशेषकर बच्चे और महिलायें अधिक कंपर्टेबल महसूस करती हैं और अपनी बात आसानी से और निःसंकोच कहती हैं। मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ मीनाक्षी जोशी ने कहा कि अकसर देखा गया है कि जो महिला आर्थिक रूप से सक्षम होती है, उसको परिवार और समाज निर्णय लेने में अधिक भागीदार बनाता है। अतः महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने की जरूरत है।
अन्त में जिलाधिकारी ने कहा कि लैंगिक समानता (जेन्डर इक्वल्टि) के सम्बन्ध में आज जो बातें सामने आयी है उस पर सभी लोग गंभीरता से ध्यान देंगे और लैंगिक समानता में जो चीजे बाधक हैं, उनकी पहचान करते हुए उसे दूर करने का सभी प्रयास करेंगे और इसके लिए समाज को भी जागरूक करेंगे। उन्होंने कहा कि जिस दिन महिलाओं और पुरूषों के कार्य-करण को समानुपात से देखने में समाज सक्षम हो जायेगा उस दिन हमें महिला दिवस, बेटी बचाओ-बेटी पढाओ जैसे अभियान की अलग से चलाने की जरूरत नहीं होगी। अतः हम सभी को समाज को यह संदेश देना होगा कि महिला और पुरूष समाज रूपी वाहन के दो पहिए हैं, तथा बेहतर और स्वस्थ समाज के निर्माण में इन दोनों की समान भूमिका है जिसको हमें समान रूप से स्वीकारना होगा।
इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक नगर श्वेता चैबे, नगर मजिस्ट्रेट अनुराधा पाल, मुख्य शिक्षा अधिकारी आशारानी पैन्यूली, जिला प्रोबेशन अधिकारी दीपशिक्षा रावत, मुख्य उद्यान अधिकारी मीनाक्षी जोशी, जिला समाज कल्याण अधिकारी हेमलता पाण्डेय, उपायुक्त नगर निगम सोनिया पंत, जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास डाॅ अखिलेश मिश्र, भूमि विकास एवं भूमि संरक्षण अधिकारी अभिलाषा भट्ट, उप जिलाधिकारी मुख्यालय संगीता कन्नौजिया, जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी डाॅ अल्का पाण्डेय, सहित वन स्टाॅप सेन्टर, चाईल्ड हेल्पलाईन सहित विभिन्न विभागों की महिला कार्मिक उपस्थित थी।

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