सीएसआईआर-आईआईपी में वेबिनार केसीमाध्यम से विश्व जैव ईंधन दिवस मनाया गया

देहरादून
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG), भारत सरकार द्वारा 10 अगस्त को विश्व जैव ईंधन दिवस मनाया गया। इस अवसर पर ‘आत्मनिर्भर भारत के लिए जैव ईंधन’ विषय पर एक वेबिनार का इस क्षेत्र के प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में आयोजन किया गया। सुनील कुमार, संयुक्त सचिव (आर), पी एंड एनजी द्वारा स्वागत भाषण के साथ यह वेबिनार प्रारम्भ हुआ। तरुण कपूर, सचिव, पी एंड एनजी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में जैवईंधन की आवश्यकता और महत्व तथा भारत सरकार जैव ईंधन नीति पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में तीन सत्र रखे गए थे जिनमेआत्मनिर्भर भारत के लिए जैव ईंधन, जैव ईंधन परियोजनाओं का संस्थापन और वित्तपोषण ओर भारत में जैव ईंधन – कार्यान्वयन थे।

सीएसआईआर-आईआईपी के निदेशक डॉ. अंजन रे ने भारत में बायो-एविएशन ईंधन कार्यक्रम का परिचय देते हुए बताया कि किस प्रकार सामुदायिक स्तर पर उत्पादित बायोडीजल हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में बहुत सहायक होगा। इस वेबिनार के दौरान CSIR-IIP में ‘सामान्य तापमान बायोडीजल प्रक्रम’ पर आधारित 50 लीटर/प्रति बैच की एक छोटी बायोडीजल निर्माण मोबाइल यूनिट तथा इसके द्वारा बायोडीजल के उत्पादन पर एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई। सभी ने इस पोर्टेबल बायोडीजल निर्माण यूनिट की बहुत सराहना की।

इस वेबिनार में वक्ताओं में वाई बी रामकृष्णा, एम एस पटके, सुबोध बत्रा, नितिन सेठे, सत्य त्रिपाठी, सुश्री वर्तिका शुक्ला, सुमित सरकार, जुलेश बंटिया, शिव, सुबोध कुमार, सांतनु गुप्ता, सुशील, डॉ.नरेंद्र मोहन और डॉ. अशोक कुमार शामिल थे। इस वेबिनार में उपस्थित विद्वानों ने जैव ईंधन संबंधी मौजूदा चुनौतियों और भावी अवसरों के साथ इससे संबंधित प्रौद्योगिकियों और भविष्य की योजनाओं आदि के सभी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की गई । इस अवसर पर भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून के निदेशक डॉ. अंजन रे द्वारा अनूप नौटियाल, संस्थापक एसडीसीएफसी तथा गणेश चंद्र कंडवाल, (जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी) को देहरादून तथा उत्तराखंड के अन्य क्षेत्रों में प्रयोग किए हुए खाने के तेल के संग्रह में उनके योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया।

सीएसआईआर-आईआईपी के डॉ. अनिल सिन्हा, डॉ. नीरज अत्रे, डॉ. अनिल जैन, डॉ. डीसी पांडे, डॉ. जयति त्रिवेदी, डी.पी. बंगवाल, अमन भोंसले और सीएसआईआर-आईआईपी के सभी वैज्ञानिकों ने इस वेबिनार में ऑनलाइन भाग लिया।

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