विश्व मधुमेह दिवस एम्स में मनाया,जिसमे मधुमेह से बचने व उपचार के तरीके बताये गए

देहरादून अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म विभाग के तत्वावधान में विश्व मधुमेह दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न आयोजन किये गए।
जिसके तहत विभाग द्वारा टाइप- 1 मधुमेह के रोगियों के लिए एक रोगी सहायता कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर संस्थान की ओर से ओपीडी मरीजों को 2 माह तक के लिए इंसुलिन के इंजेक्शन निःशुल्क वितरित किए गए ।

गौरतलब है कि हर वर्ष 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य रोगियों व उनके तीमारदारों को उनके स्वास्थ्य से जुड़ी विस्तृत शिक्षा देना और डायबिटीज के प्रबंधन, इष्टतम आहार और इंसुलिन प्रशासन तकनीक आदि के बाबत विस्तृत जानकारी देना है। संस्थान की ओर से इस वर्ष दीपावली के मद्देनजर व कोविड19 महामारी के चलते ओपीडी में भीड़भाड़ से बचने के लिए एक सप्ताहव्यापी कार्यक्रम आयोजित किया गया।

जिसमें विश्व मधुमेह दिवस मनाने के बाबत जानकारी दी गई कि इसी दिन डाॅक्टर फे्रडरिक बैटिंग ने इंसुलिन की खोज भी की थी। तभी से 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। यह दिन, मधुमेह से ग्रसित बच्चों के लिए विशेष महत्व रखता है।

वर्तमान दौर में मधुमेह सबसे आम जीर्ण बीमारियों में से एक है। इंटरनेशनल डायबिटीक फैडरेशन ( आईडीएफ) के अनुमान के अनुसार भारत में 7.7 करोड़ लोगों को मधुमेह है, जो हमारे देश को मधुमेह के लिए 8.9 प्रतिशत की व्यापकता देता है।

इस अवसर पर एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों के विषय पर इस तरह के जनजागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन समय की मांग है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि संस्थान के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग में विभिन्न वयस्क और बाल चिकित्सा एंडोक्राइन (हार्मोन संबंधी) विकारों के रोगियों के समुचित उपचार की मुकम्मल सुविधाएं उपलब्ध हैं। एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि संस्थान में मरीजों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
इस अवसर पर संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने कहा कि टाइप- 1 या जुवेनाइल डायबिटीज बच्चों और युवाओं को खासतौर से प्रभावित करता है और इस बीमारी को इंसुलिन के साथ आजीवन इलाज की आवश्यकता होती है, बताया कि यह बीमारी भारत में भी बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि इंटनेशनल डायबिटिक फैडरेशन आईडीएफ के अनुमान के मुताबिक भारत में प्रत्येक वर्ष इस बीमारी से 16,000 नए मामले प्रकाश में आ रहे हैं।

कार्यक्रम के तहत स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के लिए एक प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें खासतौर से मेडिसिन और पीडियाट्रिक्स विभाग के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। प्रतियोगिता के विजेताओं को विभाग की ओर से पुरस्कार प्रदान किए गए । क्विज प्रतियोगिता में मेडिसिन विभाग के डा. अश्विन और डा. मोहन ने प्रथम, डा. पारस गुप्ता और डा. मयंक कपूर ने द्वितीय तथा बाल रोग विभाग के डा. गोकुल पिल्लई और डा. राजकुमार ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इस अवसर पर आयोजित ऑनलाइन संकाय वार्ता में एंडोक्रिनोलॉजी विभाग की डा. कृति जोशी व डा. कल्याणी श्रीधरन तथा मेडिसिन विभाग के डा. रविकांत ने इन-हॉस्पिटल डायबिटीज मैनेजमेंट विषय पर प्रतिभाग किया। जिसमें अस्पताल में भर्ती मधुमेह के रोगियों में मधुमेह प्रबंधन के सभी पहलुओं पर चर्चा की गई।

इस अवसर पर एंडोक्रिनोलॉजी विभाग ने संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत का आभार जताया तथा यह बताया गया कि निदेशक प्रो. रवि कांत जी की दूरदृष्टि व सतत प्रयासों से विभाग की उत्तरोत्तर प्रगति हुई है। जिसके तहत विभाग अब विभिन्न वयस्क और बाल चिकित्सा एंडोक्राइन (हार्मोन संबंधी) विकारों जैसे थायराइड विकारों, वृद्धि और युवावस्था में समस्याओं, हड्डी रोग, पिट्यूटरी विकार, अधिवृक्क विकार, मोटापा और टाइप 1, टाइप 2 मधुमेह और गर्भावस्था के दौरान होने वाले मधुमेह के रोगियों के इलाज की सुविधा प्रदान कर रहा है। वर्तमान में विभाग के पास ओपीडी और आईपीडी दोनों स्तरों पर बाल चिकित्सा और वयस्क सेवाओं के लिए 2 संकाय डा. कृति जोशी व डा. कल्याणी श्रीधरन हैं। बताया गया कि इंडोक्रिनोलॉजी विभाग में शैक्षणिक गतिविधियों को जनवरी 2021 सत्र में एंडोक्रिनोलॉजी विषय में डीएम पाठ्यक्रम को शुरू किया जाएगा।

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