ब्रह्म विष्णु महेश सती अनसूया के घर पहुंच विराट रूप से बाल रूप बनकर भक्त के आधीन होकर भगवान प्रेम में वंधन वश हो जाते हैं…आचार्य बिजेंद्र ममगाईं

देहरादून

डालनवाला जनकल्याण समिति द्वारा शिव महापुराण की कथा के दुसरे दिन कथा ब्यास आचार्य बिजेन्द्र प्रसाद ममगांई ने कथा में बताया कि शिव महिमा दुर्वासा ऋषि यमलोक गये सारे नारकीय जीवों देखा दुर्वासा के मस्तक की भस्म उन नरक यातनाएं भोग रहे जीवों पर पडी तो सब दिब्य रूप धारण करके वैकुण्ठ लोक को गये।

ब्रह्म विष्णु महेश ने सती अनसूया के घर पहुंचे विराट रूप से बाल रूप बने भक्त के आधीन भगवान प्रेम में वंधन वश हो जाते हैं।अठारह पुराणों से प्राचीन शिव महापुराण 24000 श्लोक वाला पुराण भगवान सदा शिव ने अपने नंदी गण को सुनाया।

नंदी ने सनकादिक मुनियों को सनकादिक मुनियों ने वेदव्यास जी को वेद ब्यास जी ने श्री सूत जी ने शौनकादि मुनियों को ये पावन कथा सुनाई कथा अमृत धारा की तरह निरंतर चली आ रही है।

महापुराण के दूसरे दिन प्रवीण त्यागी राजेन्द्र प्रसाद मिश्रा ,आनन्द त्यागी, एम पी सिंह, टीकाराम पाण्डे, राजीव शर्मा, राकेश गुप्ता, सरोजनी गैरोला,शकुंतला नेगी ,ममता शर्मा, मूर्ति देवी, सविता त्यागी, मंगेश कुमार, प्रदीप जोशी, गजराज रजोरिया, गुड्डी शर्मा कृष्ण कुमार, आचार्य चंद्रप्रकाश ममगांई, श्रीकांत शुक्ला,अरुण आदि उपस्थित रहे।

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