चकराता वन प्रभाग के कोटि कनासर वन परिसर में केस प्रॉपर्टी में रखे देवदार के 37 स्लीपर गायब,वनाग्नी काल में कर्मचारियों को किसने दी छुट्टी

देहरादून/कालसी
चकराता वन प्रभाग में एक बड़ा मामला सामने आया है जिसमे विभागीय लापरवाही के चलते वन विभाग परीसर से ही केस प्रॉपर्टी के 37 स्लीपर चोरी हो गए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार चकराता वन प्रभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की नाक के नीचे से कोटि कनासर वन परिसर से संरक्षित प्रजाति देवदार के 37 स्लीपर चोरी हो गए हैं। विभागीय अधिकारियों का दावा है कि जिस दिन चोरी हुई उस दिन सभी कर्मचारी छुट्टी पर गए थे।
वन विभाग राजस्व पुलिस को तहरीर देने की बात कह रहा है, मामले में वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका संदेह के घेर में है।
बताते चलें कि लगभग 10 माह पूर्व चकराता वन प्रभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अभियान चलाकर संरक्षित प्रजाति के देवदार के करीब अवैध 4500 स्लीपर जंगल और स्थानीय लोगों के घरों से बरामद किए गए थे। अवैध स्लीपरों की बरामदगी के मामले में 17 मुकदमे दर्ज हुए थे। बरामद किए गए स्लीपर केस प्रॉपटी थी। लेकिन, वन विभाग की लापरवाही के चलते चोर विभाग
को चकमा देकर कोटि कनासर वन परिसर से देवदार के 37 स्लीपर चोर ले गए। अधिकारियों पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने करीब दो दिन तक मामले को दबाए रखा।
वहीं विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जिस दिन चोरी हुई उस दिन कर्मचारी छुट्टी पर थे।
उल्लेखनीय है कि इन दिनों वनाग्नि काल चल रहा है और कर्मचारियों की छुट्टी पर रोक लगी हुई है और सभी कर्मचारी व अधिकारी अत्यंत संवेदनशील स्थल जहां केस प्रॉपर्टी के बरामद स्लीपर पर रखे हों उसको लावारिस छोड़कर आखिर कैसे चले गए।
डीएफओ चकराता मयंक शेखर झा के अनुसार मामले की रिपोर्ट तहसीलदार चकराता के पास दर्ज करा दी गई है। विभागीय जांच के बाद कार्यवाही की जाएगी लेकिन जल्द ही अपराधी पकड़े जाएंगे।
इस मामले में तहसीलदार चकराता मनोहर लाल अंजुवाल से संपर्क करने पर उन्होंने कोई भी रिपोर्ट दर्ज होने से स्पष्ट रूप से इन्कार किया है। उन्होंने कहा कि इस बाबत वन विभाग की तरफ से उन्हें कोई तहरीर अथवा रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।

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