देहरादून
प्रदेश की राजधानी में उत्तराखंड सहित विभिन्न प्रदेश से आए हुए LGBTQ+ समुदाय में लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर और अन्य यौन और लैंगिक पहचान वाले लोग शामिल हुए।
इस अवसर पर इन लोगों ने सैकड़ों की संख्या में एकत्रित होकर एक रैली निकाली।
मैके पर मौजूद लोगो ने बताया गया कि यह समुदाय सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है और इसके सदस्य अक्सर समाज में स्वीकार्यता और समानता के लिए संघर्ष करते हैं।
भारत में LGBTQ+ समुदाय का एक लंबा और विविध इतिहास रहा है। कई प्राचीन ग्रंथों और मूर्तियों में समलैंगिकता और ट्रांसजेंडरता के संदर्भ मिलते हैं। हालांकि, ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान, धारा 377 जैसे कानूनों के तहत समलैंगिकता को अपराधीकरण किया गया, जिसे 2018 में भारतीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक घोषित किया गया।
समाज में LGBTQ+ लोगों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि भेदभाव, हिंसा, और सामाजिक बहिष्कार। इसके बावजूद, LGBTQ+ समुदाय ने अपनी पहचान और अधिकारों के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया है और महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है।
आजकल, LGBTQ+ अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ रही है और कई संगठन और कार्यकर्ता इस समुदाय के अधिकारों की वकालत कर रहे हैं। फिर भी, पूर्ण समानता और स्वीकार्यता के लिए अभी भी लंबा रास्ता तय करना बाकी है।
प्राइड परेड्स LGBTQ+ समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह परेड्स न केवल समुदाय की विविधता और पहचान का उत्सव होती हैं, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने और समानता के अधिकारों के प्रति समर्थन प्रदर्शित करने का भी माध्यम हैं।
प्राइड परेड्स के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है…
स्वीकृति और दृश्यता के अनुसार प्राइड परेड्स LGBTQ+ समुदाय के सदस्यों को अपनी पहचान को गर्व के साथ प्रस्तुत करने का मंच प्रदान करती हैं। यह उन्हें समाज में स्वीकार्यता और मान्यता दिलाने में मदद करती हैं।जागरूकता और शिक्षा के अंतर्गत यह परेड्स समाज को LGBTQ+ मुद्दों के बारे में शिक्षित करती हैं और भेदभाव के खिलाफ जागरूकता फैलाती हैं। इससे समाज में समावेशिता और समानता का संदेश प्रसारित होता है। समर्थन और एकजुटता: प्राइड परेड्स में शामिल होने वाले लोग LGBTQ+ समुदाय के प्रति अपना समर्थन दिखाते हैं। यह एकजुटता का प्रतीक है और समुदाय के सदस्यों को यह अहसास दिलाता है कि वे अकेले नहीं हैं। इतिहास और संघर्ष की याद: यह परेड्स उन संघर्षों और उपलब्धियों को याद दिलाती हैं जो LGBTQ+ समुदाय ने अपने अधिकारों के लिए किए हैं। यह समुदाय के इतिहास और उसकी यात्रा को सम्मानित करने का तरीका है।सकारात्मकता और उत्सव: प्राइड परेड्स एक सकारात्मक और उत्साहपूर्ण वातावरण में आयोजित की जाती हैं, जहां लोग अपनी पहचान का जश्न मनाते हैं। यह समुदाय के सदस्यों को खुशी और आत्मविश्वास का अनुभव कराती हैं।
इस अवसर पर बिन्नी राणा अध्यक्ष,ओशिन सरकार सचिव,मनोज कोषाध्यक्ष आदि मौजूद थे। इन सभी ने भारतीय तिरंगा लहराते नाचते गाते परेड ग्राउंड के चारो ओर प्राइड परेड में हिस्सा लिया।