देहरादून
स्वतंत्रता सेनानी.पं.श्री राम शर्मा की पुण्य तिथि पर विशेष आलेख.. राष्ट्रीय धारा के प्रमुख कवि एवम स्वतंत्रता सेनानी श्रीराम शर्मा प्रेम ने 1942 के असहयोग आन्दोलन मे गिरफ्तारी दी। उन्होंने दिल्ली सैनटर सैकेट्रिएट मे वायस राय के दफ्तर के सामने 26 जनवरी 1944 को तिरंगा फहराया और फिरोज पर जेल भेज दिये गये। दो वर्ष की कठोर कारावास हुई। उन्होंने ने जेलो मे देशभक्ति की कविता लिखी।
1945 मे देहरादून आकर यही साहित्य का केंद्र बन गये। हालांकि श्री राम 1978 में काल के क्रूर हाथों ने उनको हमसे छीन लिया।
श्री राम शर्मा की दो कविताये गढ़वाल विश्व विद्यालय के पाठ्यक्रम मे पढाई जाती है।
जीवन भर वे और उनका परिवार समाजसेवा और साहित्य सेवा मे लगाता रहा।
अब उनका परिवार धरोहर जैन प्लाट वाणी विहार अधोईवाला देहरादून मे साहित्य सेवा कर रहा है।
उनका परिवार आज भी साहित्य की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है उनके एक मात्र पुत्र जनकवि डा अतुल शर्मा प्रसिद्ध साहित्य कार है जिन्होंने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में अपनी कविताओं के माध्यम से आंदोलन में जोत जलाए रखी वहीं कहानीकार रेखा शर्मा व कवयित्री रंजना शर्मा उनकी पुत्री है जो स्वयं साहित्य की सेवा में खुद को समर्पित किए हुए हैं।
कविवर का एक गीत ए एस एस के कैम्प मे देश भर मे आज भी गाया जाता है.. करो राष्ट्र निर्माण बनाओ मिट्टी से सोना।