देहरादून
लंबे समय से कैंसर से जंग लड़ रहीं बिहार की फोक सिंगर और अपने छठ गीतों के लिए लगभग हर दिलों में बसने वालीं शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं रहीं।
बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा लगभग एक हफ्ते से एडमिट थीं। उनका निधन मंगलवार रात करीब 9:20 बजे दिल्ली स्थित AIIMS में आखिरी सांस ली। इसी के साथ ही एक सदी का अंत हो गया है। छठ पूजा के गीतों का पर्याय पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा ने छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय को ही दुनिया को अलविदा कह दिया।
बताते चलें कि शारदा सिन्हा ने भोजपुरी और मैथिली में काफी सारे लोकगीत गाए है। उन्होंने बॉलीवुड में सलमान खान की फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ के भी गाने में अपनी आवाज दी है। संगीत की दुनिया में उनके अहम योगदान के लिए इस सिंगर को साल 1991 में ‘पद्मश्री’ और 2018 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया। शारदा सिन्हा हमारे बीच अब भले ही नहीं रहीं, लेकिन उनकी वो आवाज कभी खत्म नहीं होगी जो छठ के दौरान घाटों पर सुनकर लोग भावविभोर हो उठते हैं। इनकी वो आवाज हमेशा गूंजती ही रहेगी, जिसे सुनकर अपने घरों से दूर रहने वाला शख्स छठ पर घर आने को बेचैन हो उठेगा।
शारदा सिन्हा का नाम मन में आते ही दूसरे पल छठ के गीत अपने आप ही मन में गूंजने लगते हैं। छठ के गीतों को बिहार की इस बेटी ने कुछ ऐसा गाया कि छठ का पर्व इनके गानों के बिना अधूरा माने जाने लगा।
ए करेलु छठ बरतिया से झांके झुके हो या केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके झुके, या फिर कांचे ही बांस के बहंगिया… शारदा सिन्हा के छठ पर गाए हुए ये गीत आज पूरी दुनिया में अजर-अमर हो चुके हैं।
शारदा सिन्हा ने करीब 50 साल पहले यानी साल 1974 में पहला भोजपूरी गाना गाया था। इसके बाद उनका संघर्ष जारी रहा, 1978 में उन्होंने छठ गीत ‘उग हो सुरुज देव’ गाया और इस गाने ने रिकॉर्ड बना डाला और यही से शारदा सिन्हा और छठ पर्व एक दूसरे के पूरक हो गए। करीब 46 साल पहले गाए इस गाने को आज भी छठ घाटों पर सुना जाता है।
इसके बाद सन 1989 में शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड में फिल्म मैने प्यार किया के लिए कहे तोसे सजना गाना गाया।
72 साल की शारदा ने गैंग्स ऑफ वासेपुर का तार बिजली से पतले हमारे पिया हो या फिर हम आपके हैं कौन का बाबूल, तब से वो रातों रात सुर्खियों में आ गई. उन्होंने दुनिया को दिखाया कि वो हर तरह के गाने गा सकती हैं।
बताते चलें कि बिहार के सुपौल जिले के एक छोटे से गांव हुलास में उनका जन्म 1 अक्टूबर 1952 को हुआ था। शारदा सिन्हा के पिता सुखदेव ठाकुर हाई स्कूल के प्रिंसिपल थे। शारदा सिन्हा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई हुलास गांव से ही पूरी की फिर स्कूल पूरा करने के बाद वो संगीत में अपना करियर बनाने के लिए संघर्ष करने लगी थी। कई सालों की मेहनत के बाद उग हो सूरज मल गाने ने शारदा को अपना मुकाम दिलाया, इसे संयोग कहे या कुछ और लेकिन जीवन भर जिस छठ के गीतों को गाकर शारदा ने पूरी दुनिया में डंका बजाया छठ पर्व के दौरान ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
शारदा सिन्हा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह तक ने शोक व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने कहा कि मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत शारदा सिन्हा का जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।