देहरादून
उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच के द्वारा सरकार द्वारा त्रिवेन्द्र सरकार कें 2018 कें भू कानून को निरस्त करने एवं कैबिनेट द्वारा सशक्त भू कानून पास करने की पहल को राज्य आंदोलनकारियों कें संघर्ष का परिणाम बताते हुये इस कदम का स्वागत किया हैं।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी एवं महासचिव रामलाल खंडूड़ी ने कहा कि सरकार सशक्त भू कानून बनाने की दिशा मेँ आगे बढ़ी हैं इसका राज्य आंदोलनकारी मंच स्वागत करता हैं। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच पिछले 04-वर्षों से 2018 कें कानून को निरस्त करने की लगातार सरकार से मांग कर रहें थे यें अति आवश्यक था। कैबिनेट द्वारा पारित कानून की सभी से चर्चा कर जल्द समीक्षा की जाएगी।
प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने कहा कि सरकार की इस पहल का स्वागत हैं लेकिन अभी मूल निवास पर चुप्पी समझ से परे हैं कि वर्ष 2012 से जो मूल निवास प्रमाण पत्र अपरिहार्य कारणों से बन्द पड़े हैं वह कब से बनने प्रारम्भ होंगे यें सवाल आज भी खड़ा हैं। बाकी इस कानून की समीक्षा कर जो सुधार की गुंजाइश होगी तो सरकार को पुनः पूर्व की भांति सुझाव दिया जायेगा। दो जिलों मेँ जो 250 वर्ग मीटर का जो प्रावधान पूर्व की भांति किया गया उसमें पूर्व मेँ भी नियम था लेकिन भू माफियाओं ने तिवारी सरकार और खंडूरी सरकार के 250 मीटर के कानून में नगर निगम निकाय छेत्र का विस्तार कर इस लूप होल का खूब फायदा उठाया गया रिश्तेदारों कें नाम पर अलग भूमि खरीद फिर साथ जोड़कर प्लाटिंग कर डाली।
नगर निगम , नगर पालिका व नगर पंचायत का भविष्य मेँ विस्तार होता हैं तो भू कानून कें दायरे मेँ रखकर नियम लागू हो अन्यथा बची खुची जमीन बचाना भारी होगा। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच सरकार से मांग करता हैं कि मुख्यतः देहरादून एवं हरिद्वार एवं उद्यमसिंह नगर व हल्द्वानी में स्थाई निवास प्रमाण पत्र जारी करने के कानून की कट ऑफ डेट 1985 का सख्ती से पालन किया जाए वरना की इन दोनों जिले से स्थाई निवास बनाकर उत्तराखंड में जमीन लेने का हकदार बन जाएगा और इसी कें साथ अन्य सभी सुविधाओं व नौकरी का भी हकदार होगा।