दून विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन संपन्न,मुख्य अतिथि राज्यपाल गुरमीत सिंह ने शिक्षा को परिवर्तनशील विस्तार देने पर जताया हर्ष – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

दून विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन संपन्न,मुख्य अतिथि राज्यपाल गुरमीत सिंह ने शिक्षा को परिवर्तनशील विस्तार देने पर जताया हर्ष

देहरादून

विद्याभारती उच्च शिक्षा संस्थान, दून विश्वविद्यालय, उत्तराखण्ड उच्च शिक्षा विभाग एवं उत्तराखण्ड विज्ञान व प्रौद्योगिकी परिषद् (यूकॉस्ट) के संयुक्त तत्वाधान में संस्थागत नेतृत्व तथा उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी नितियों के उद्देश्य से विश्विद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का समापन आज रविवार 2 मार्च 2025 को मुख्य अतिथि राज्यपाल ले.ज. (रि) गुरुमीत सिंह के कर कमलों द्वारा हुआ।

इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत, कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल व विद्याभारती उच्च शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. कैलाश चंद्र शर्मा भी विशेष तौर पर उपस्थित रहे।

सम्मलेन के दूसरे दिन समापन समारोह के मुख्य अतिथि राज्यपाल महोदय ले.ज. (रि.) गुरुमीत सिंह ने सम्मलेन के सफलतापूर्वक संपन्न होने की बधाई दी तथा देश व राज्य में शिक्षा को परिवर्तनशील विस्तार देने हेतु चिंतन-मनन के लिए बड़े स्तर पर होने वाले इस सम्मलेन पर हर्ष भी जताया। उन्होंने सभागार को उद्बोधित करते हुए कहा कि हम यहाँ ना केवल राष्ट्रीय नेतृत्व के विभिन्न आयामों पर विमर्श करने के लिए एकत्रित हुए है बल्कि विकसित भारत को आकार देने में संस्थानों की अहम् भूमिका की फिर से एक नयी कल्पना करने के लिए भी एकजुट हुए है। एक ऐसी कल्पना जिसका उद्देश्य पाश्चात्ये ज्ञान केंद्रित शिक्षण एवं अनुसन्धान के अधिपत्ये की जगह शैक्षणिक जगत में भारत केंद्रित शिक्षा एवं अनुसन्धान को मुख्य धुरी के रूप में स्थापित करना है।

हमारा मुख्य उद्देश्य भारत को शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र वैश्विक नेतृत्व स्थापित करने की दिशा में अग्रसर करना है और आर्थिक रूप से विकसित करने के साथ-साथ हमारी सभ्यता में निहित ज्ञान, विचार, समर्पण और मूल्यों से भी समृद्ध से भी देश को समृद्ध करना है।

राज्यपाल ने कहा की इन दो दिनों के दौरान देश के मूर्धन्य विद्वान्, शिक्षाविद एवं राष्ट्रिय महत्त्व के संस्थानों के प्रमुखों के उद्बोधन से राज्य के शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं अनुसंधानकर्ताओं को संवाद एवं विमर्श करने का जो अवसर प्राप्त हुआ है उससे शोध, शिक्षण, अनुसंधान एवं नवाचार में उन्नति होगी। उन्होंने इस सम्मलेन को उद्बोधित करने वाले विभन्न संस्थानों से आये शिक्षाविदों एवं प्रबुद्धजनों का आभार प्रकट किया।

सम्मलेन के दूसरे दिन समापन समारोह से पूर्व सुबह से देश में शिक्षा के नवाचारों पे केंद्रित विभिन्न थीम के छः टेक्निकल सेशंस हुए – ” विज़न विकसित भारत @2047 : रोल ऑफ़ ऐकडेमिक लीडर्स , जिसे की चमु कृष्णा शास्त्री (अध्यक्ष, भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ) और प्रो. भरत भास्कर, निदेशक आईआईएम अहमदाबाद ने उद्बोधित किया।

प्रो.चमु कृष्ण शास्त्री, अध्यक्ष, भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने मुख्य रूप से कहा कि हमारे शिक्षक और छात्र भविष्य में आने वाली तकनीकी और सामयिक/ परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना कर सकें उसके लिए हमें आज से ही तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी कोर्सेज का स्टडी मटीरियल भारतीय भाषाओं में डिजिटल रूप में दिया जाना चाहिए। साथ ही कोर्सेज में तकनीकी शब्दावली को भारतीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराना चाहिए जिससे किसी भी क्षेत्र व वर्ग से आने वाले छात्रों को परेशानी का सामना न करना पड़े।

प्रो.भारत भास्कर ने सभागार को उद्बोधित करते हुए कहा-हमारा प्रदर्शन और संभावनाएं संस्कृति के अनुसार होना चाहिए न कि पाश्चात्य मॉडल के, हमें अपने विकास का मॉडल खुद ही तैयार करना चाहिए।

अगले सत्र में संस्थागत नेतृत्व के करणीय बिंदुओं को समायोजित करने वाले सबसे अहम पक्ष घोषणा पत्र पर चर्चा की गई। हर वर्ष राष्ट्रीय समागम की समाप्ति पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भावनाओं के अनुरूप कुछ करणीय बिंदु पहचाने जाते है। सभी संस्थानों से अपेक्षा रहती की वे वर्ष भर इन बिंदुओं पर कार्य करेंगे।

इसी घोषणापत्र के विभिन्न पहलुओं को समझने और उस पर आए अतिथियों के सुझाव लेने के लिए कई सत्रो में चर्चा की गई। इन सत्रों में घोषणोपत्र के विभिन्न पक्षों को विस्तार से समझने के लिए प्रकाश , राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, विद्याभारती उच्च शिक्षा संस्थान, प्रो.एन के तनेजा, प्रो. कैलाश चंद्र शर्मा की उपस्थित रही।

प्रो.अविनाश अग्रवाल, आईआईटी, जोधपुर, प्रो.भरत भास्कर, आईआईएम, अहमदाबाद व प्रो० दीपक ने भी विभिन्न सत्रों में घोषणापत्र के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की ।

इसी प्रकार मुख्य सत्र में जिसका विषय ‘फोस्टरिंग अकादमिक एक्सीलेंस : लीडरशिप एवं कोलैबोरेशन इन एक्शन’ था।इसमे प्रो० प्रदीप जोशी, चेयरमैन, एनटीए, प्रो० एस० के० खरे, निदेशक आईआईएसईआर, कोलकाता और प्रो० बिनोद कन्नौजिया, निदेशक एनआईटी, जालंधर ने चर्चा की। इस सत्र में अकादमिक नेतृत्व के विभिन्न पहलुओं और अकादमिक संयोजन से इसको कैसे उभारा जाए इस पर चर्चा की गई।

इस समारोह में प्रो शिवराज सिंह, प्रो अखिलेश मिश्र तथा विद्याभारती उच्च शिक्षा संस्थान उत्तराखण्ड के पदाधिकारी प्रो जगमोहन सिंह राणा, प्रो राज कुमारी चौहान भंडारी, प्रो अंजु अग्रवाल, डा. दीपक पांडे दून विश्वविद्यालय के कुलसचिव दुर्गेश डिमरी, प्रो आर पी ममगंई, प्रो. एच सी पुरोहित, डा. स्वाति बिष्ट व अन्य शिक्षाविद सम्मिलित हुए।

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