देहरादून
अध्यापिका व कवयित्री रीता शर्मा की 17 वीं पुण्यतिथि पर जनकवि डा अतुल शर्मा के निवास पर एक गोष्ठी में साहित्य के माध्यम से श्रद्धांजलि दी गई।
कार्य क्रम की शुरुआत कवयित्री रंजना शर्मा द्वारा की गयी। उन्होंने स्व रीता शर्मा का गीत सुनाया,, साधु के वेष मे/ पर्वत के देश मे / एक पैर खड़ा रहा / गुनगुनाया देवदार। “कहानीकार रेखा शर्मा ने अपनी पुस्तक से डा गिरिजा व्यास ( पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री) व पद्मश्री राधा भट्ट के साथ रीता शर्मा आत्मिय संस्मरण सुनाये।
इस अवसर पर कार्य क्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व राज्य मंत्री रविन्द्र जुगरान ने कहा कि अध्यापिका व कवयित्री रीता शर्मा प्रसिद्ध स्वाधीनता संग्राम सेनानी एवं राष्ट्रीय कवि श्रीराम शर्मा प्रेम की पुत्री थीं दृढ़ निश्चयी थीं। वे एमकेपी इंटर कालेज में पढ़ाती थीं। उनका निधन 26 अप्रेल 2006 को कैंसर के चलते हो गया था। लेकिन उन्होंने उस समय भी बिस्तर से ही उन्होंने कविताये लिखी और बोली कि मै जीवित रहूगी स्कूल जाते हुए बच्चों मे।
गोष्ठी का संचालन कर रहे पीडी लोहानी ने कहा रीता शर्मा ने निराश्रित बच्चों को पढाया व विभिन्न जनान्दोलनो मे सक्रिय भूमिका निभाई।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि हुकम सिह गड़िया ने उन्हे आज की पीढी के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया। उत्तराखंड राज्य आन्दोलनकारी मंच के प्रांतीय सचिव प्रदीप कुकरेती ने जानकारी दी कि रीता शर्मा का परिवार हर वर्ष किसी न किसी प्रतिभा को रीता शर्मा स्मृति सम्मान से अलंकृत करता है।
उत्तराखंड आन्दोलन कारी मंच के अध्यक्ष जगमोहन नेगी ने उन्हे मार्ग दर्शक बताया। सामाजिक कार्यकर्ता शेर सिह राणा ने बताया कि रीता शर्मा प्रसिद्ध जनकवि डा अतुल शर्मा की बहिन थीं और उनके साथ नुक्कड़ नाटक मे भी भाग लिया करती थीं।
उपस्थित लोगों ने रीता शर्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।