देहरादून/उत्तरकाशी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा जारी सैटेलाइट तस्वीरों ने उत्तराखंड की हालिया आपदा की भयावहता को साफ उजागर कर दिया है।
सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में बाढ़ से पहले और बाद में धराली और हर्षिल क्षेत्र में हुई तबाही स्पष्ट दिखाई दे रही है।
ISRO की रिपोर्ट के अनुसार, तकरीबन तबाही के बाद से 20 हेक्टेयर क्षेत्र में भारी मलबा फैल गया है। गंगा की एक सहायक नदी खीर गंगा का मार्ग पूरी तरह बदल जाने से गांव के कई हिस्से जलमग्न हो गए हैं। सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों मे स्पष्ट नजर आ रहा है कि कई इमारतें या तो पानी में डूब गई हैं या पूरी तरह बह गई हैं।
उत्तरकाशी के धराली में मंगलवार को जो आपदा आई उसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है.l। पहाड़ से आए सैलाब में पूरा का पूरा गांव मलबे के ढेर में तबदील हो गया। अभी भी इस मलबे में कई लोगों के दबे होने की बात कही जा रही है। हादसे वाली जगह पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। धराली से अब तक जो तस्वीरें निकलकर आई हैं वो बेहद डराने वाली हैं।
अब धराली की दो अलग-अलग तस्वीरें सामने आ रही हैं। ये तस्वीरें सेटेलाइट से ली गई हैं ली गई तस्वीरों में से एक इस हादसे से पहले की है जबकि दूसरी हादसे के बाद की। इस तस्वीर में दिख रहा है कि कैसे सात अगस्त को एकाएक आए सैलाब ने पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया।
बताते चलें कि धराली में हुए भूस्खलन और फ्लैश फ्लड के बाद हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं।मलबे के नीचे दबे लोगों को बचाने के लिए राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है। सेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों की संयुक्त टीमें मौके पर डटी हुई हैं। इस अभियान में खोजी कुत्तों और ड्रोन की भी मदद ली जा रही है ताकि मलबे में दबे लोगों का पता लगाया जा सके।
सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि 14 राजस्थान राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर हर्षवर्धन के नेतृत्व में 150 जवानों की टीम राहत कार्य में जुटी हैं। वहीं आईटीबीपी के पीआरओ कमलेश कुमार कमल ने बताया कि अब तक 100 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। इनमें से कई को तत्काल मेडिकल सहायता दी गई है।
गंगोत्री मार्ग स्थित मात्र 20 किमी पहले बसे धराली गांव की सैटेलाइट छायाचित्रों में आपदा से पहले के हरे-भरे खेत और बस्तियां अब मलबे के ढेर में गायब नजर आ रही हैं। मंगलवार को आई आपदा कीए बाद से स्थानीय प्रशासन और राहत एजेंसियां अब भी क्षेत्र में बचाव और पुनर्वास कार्य में जुटी हुई हैं।
ऊपर से खराब मौसम राहत और बचाव कार्य में सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है।
सेटेलाइट से ली गई ये दोनों तस्वीरें अलग-अलग समय की हैं। पहली तस्वीर 13 जून 2024 की है जबकि दूसरी तस्वीर हादसे के ठीक बाद यानी 7 अगस्त 2025 की है।