देहरादून
दीपावली की आहट से पहले ही प्रदेश की राजधानी देहरादून में राज्य कर विभाग ने पटाखा कारोबारियों पर कार्रवाई करते हुए करीब 63 लाख रुपये की कर चोरी का पर्दाफाश किया है।
बुधवार को विभाग की विशेष अनुसंधान शाखा (एसएआईबी) की टीमों ने शहर के कई पटाखा व्यापारियों के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर हड़कंप मचा दिया।
अभियान आयुक्त राज्य कर सोनिका के निर्देश पर और अपर आयुक्त पान सिंह डुंगरियाल व संयुक्त आयुक्त अजय सिंह के नेतृत्व में चलाया गया। टीमों ने एक साथ पांच पटाखा प्रतिष्ठानों पर दबिश दी, जहां बड़ी अनियमितताएं पाई गई।
छापेमारी में पता चला कि कई गोदाम पटाखों से भरे थे, जबकि रजिस्टरों में बहुत कम माल दर्ज था। कई बिल अधूरे या गायब मिले और जीएसटी रिकॉर्ड में हेराफेरी पाई गई।
प्रारंभिक जांच में 63 लाख रुपये की कर चोरी का अनुमान लगाया गया है। विभाग ने मौके पर ही 28 लाख रुपये का कर वसूल किया, जबकि 35 लाख रुपये मूल्य के पटाखों का स्टॉक जब्त कर लिया गया।
छापेमारी में पता चला कि कई गोदाम पटाखों से भरे थे, जबकि रजिस्टरों में बहुत कम माल दर्ज था। कई बिल अधूरे या गायब मिले और जीएसटी रिकॉर्ड में हेराफेरी पाई गई।
प्रारंभिक जांच में 63 लाख रुपये की कर चोरी का अनुमान लगाया गया है। विभाग ने मौके पर ही 28 लाख रुपये का कर वसूल किया, जबकि 35 लाख रुपये मूल्य के पटाखों का स्टॉक जब्त कर लिया गया।
टीम ने कारोबारियों के वित्तीय दस्तावेज, बिल बुक, जीएसटी रजिस्टर और कंप्यूटर रिकॉर्ड कब्जे में लिए हैं। इनकी गहन जांच कर पूरी कर चोरी श्रृंखला का पता लगाया जाएगा।
कार्रवाई में उपायुक्त एसएआईबी सुरेश कुमार, सहायक आयुक्त टीआर चन्याल, अमित कुमार और धर्मवीर सैनी सहित कई अधिकारी शामिल रहे।
राज्य कर विभाग के अनुसार, दीपावली सीजन में पटाखा कारोबार में कर चोरी के मामले तेजी से बढ़े हैं। व्यापारी नकली बिलिंग, बिना इनवॉइस बिक्री और स्टॉक छिपाने जैसी गतिविधियों में लिप्त पाए जा रहे हैं।
विभाग ने स्पष्ट किया है कि आने वाले दिनों में हरिद्वार, रुड़की और हल्द्वानी में भी इसी तरह की छापेमारी की जाएगी। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि कर चोरी पकड़े जाने पर भारी जुर्माना और लाइसेंस निलंबन जैसी कड़ी कार्रवाई होगी।
इस कार्रवाई के बाद देहरादून के पटाखा बाजार में हड़कंप मचा हुआ है। कई व्यापारी अब अपने स्टॉक और रिकार्ड व्यवस्थित करने में जुट गए हैं। विभाग का कहना है कि अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक पटाखा व्यापार पूरी तरह पारदर्शी और कर-अनुरूप नहीं हो जाता।