देहरादून
उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन (सीएयू) के लिए एक ऐतिहासिक और निर्णायक जीत, उत्तराखंड उच्च न्यायालय नैनीताल ने संगठन के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। यह फैसला न केवल सीएयू की कानूनी जीत है, बल्कि सत्य, एकता और पारदर्शिता के प्रति संगठन की अटूट प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है।
न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की एकल पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलों की गहन सुनवाई के बाद याचिकाओं को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि इनमें कोई ठोस आधार नहीं है और जांच का कोई औचित्य नहीं बनता। याचिकाकर्ताओं ने सीएयू पर वित्तीय अनियमितताओं और बजट के दुरुपयोग का आरोप लगाया था, लेकिन अदालत ने इन आरोपों को निराधार पाया।
सीएयू की सचिव किरण रौतेला वर्मा ने इस फैसले को सत्य और न्याय की जीत करार देते हुए कहा कि यह निर्णय हमारी पारदर्शी कार्यशैली और खेल के प्रति समर्पण का प्रमाण है। हम हमेशा से उत्तराखंड में क्रिकेट के विकास और खिलाड़ियों के कल्याण के लिए काम करते रहे हैं। यह जीत हमारे समर्थकों, खिलाड़ियों और हितधारकों के विश्वास का परिणाम है।
सीएयू के पूर्व सचिव माहिम वर्मा ने कहा कि इस तरह के आधारहीन आरोपों ने न केवल संगठन की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया, बल्कि उत्तराखंड में क्रिकेट के विकास को भी प्रभावित किया। उन्होंने बताया कि यदि ये विवाद न हुए होते, तो उत्तराखंड प्रीमियर लीग (यूपीएल) सीजन 2 को और भव्य और प्रभावी ढंग से आयोजित किया जा सकता था।
इससे हमारे खिलाड़ियों को राष्ट्रीय मंच पर और अधिक अवसर मिलते। कुछ लोग छोटे स्वार्थों के लिए संगठन को विवादों में घसीटना चाहते हैं, लेकिन यह फैसला सत्य की जीत है।”
यूपीएल और भविष्य की योजनाएं
सीएयू के अध्यक्ष दीपक मेहरा ने हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह निर्णय हमारे संगठन के मान-सम्मान को और मजबूत करता है। हालांकि, यूपीएल सीजन 2 के दौरान इन विवादों के कारण कुछ नुकसान हुआ, जिसकी भरपाई आसान नहीं है। फिर भी, हम भविष्य में और अधिक पारदर्शिता और उत्साह के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
यूपीएल के अध्यक्ष सुनील जोशी ने भी इस फैसले पर खुशी जताई और कहा कि हमारा लक्ष्य उत्तराखंड की क्रिकेट प्रतिभाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाना है। आने वाले समय में यूपीएल को और अधिक भव्य और पारदर्शी तरीके से आयोजित किया जाएगा, ताकि हमारे खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का बेहतर अवसर मिले।
सीएयू ने इस कानूनी जीत के लिए अपने सभी समर्थकों, खिलाड़ियों और हितधारकों का आभार व्यक्त किया है। संगठन ने कहा कि यह जीत न केवल कानूनी, बल्कि दृढ़ता, एकता और न्याय में विश्वास का भी प्रमाण है। सीएयू ने अपने बयान में जोर देकर कहा, “हम उत्तराखंड में क्रिकेट के विकास और खिलाड़ियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए और अधिक मेहनत करने के लिए कटिबद्ध हैं।”
यह फैसला उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन के लिए एक नई शुरुआत है, जो पारदर्शिता, निष्पक्षता और खेल भावना के साथ अपने मिशन को और मजबूती से आगे बढ़ाने के लिए तैयार है।