देहरादून
लंबे समय से समान कार्य–समान वेतन की मांग कर रहे उपनल कर्मियों को बड़ी राहत मिल गई है। सरकार ने उपनल के माध्यम से विभिन्न विभागों में 12 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत हजारों कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतनमान और महंगाई भत्ता देने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ हुई विस्तृत वार्ता के बाद कर्मचारियों की मांगों पर सहमति बन चुकी है। आपको बता दें कि राज्य में करीब 22 हजार उपनल कर्मी हैं और माना जा रहा है कि 08 हजार के करीब 10 वर्ष से अधिक की सेवा पूरी कर चुके हैं।
हालांकि, शासनादेश की आधिकारिक प्रति जारी न होने के कारण उपनल कर्मी देर रात तक परेड ग्राउंड में डटे रहे। उपनल कर्मचारी महासंघ ने हड़ताल को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है, लेकिन चेतावनी दी है कि सोमवार तक शासनादेश जारी न हुआ तो आंदोलन फिर से उग्र किया जाएगा।
सचिव सैनिक कल्याण दीपेंद्र चौधरी द्वारा जारी शासनादेश में कहा गया है कि यह निर्णय हाई कोर्ट नैनीताल की रिट याचिका 116/2018 में पारित आदेश के अनुपालन में लिया गया है।
आदेश के अनुसार, उपनल के माध्यम से कार्यरत वे सभी कार्मिक जिन्होंने 12 वर्ष या उससे अधिक की सेवा पूरी की है, उन्हें अब वेतनमान का न्यूनतम वेतन एवं डीए उपलब्ध कराया जाएगा।
यह लाभ समान कार्य–समान वेतन सिद्धांत के आधार पर दिया जाएगा।सरकार ने आगे स्पष्ट किया कि चरणबद्ध तरीके से 12 वर्ष से कम सेवा वाले अन्य उपनल कर्मियों को भी न्यूनतम वेतनमान और महंगाई भत्ता देने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।
वेतन और डीए संबंधित विभागों द्वारा ही उनके तैनाती स्थल पर प्रदान किया जाएगा। विभागीय स्तर पर इस पर सैद्धांतिक सहमति पहले ही बन चुकी है। इस निर्णय से आने वाले समय में हजारों उपनल कर्मियों को प्रत्यक्ष लाभ मिलने की संभावना है।
उपनल कर्मियों की घंटों चली मंत्रणा
मुख्यमंत्री आवास में हुई उच्च स्तरीय बैठक में सचिव कार्मिक शैलेश बगौली, प्रमुख सचिव वित्त आरके सुधांशु, सचिव मुख्यमंत्री विनय शंकर पांडे, और सचिव सैनिक कल्याण दीपेंद्र चौधरी उपस्थित रहे। लंबी चर्चा के बाद सरकार ने उपनल कर्मियों की मांगों को स्वीकार कर लिया।
उपनल कर्मचारी महासंघ के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने बताया कि, “बैठक सकारात्मक रही, लेकिन कर्मचारी शासनादेश जारी होने से पहले काम पर नहीं लौटेंगे। हड़ताल स्थगित हुई है, शासनादेश जारी नहीं हुआ तो दोबारा आंदोलन होगा।
यह निर्णय उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, नैनीताल में योजित रिट याचिका संख्या 116/2018 (PIL) में पारित आदेश दिनांक 12.11.2018 के अनुपालन में, उपनल प्रतिनिधियों की मुख्यमंत्री से हुई बैठक के बाद शासन स्तर पर सम्यक विचार-विमर्श के उपरांत लिया गया है।
इस संबंध में सचिव सैनिक कल्याण दीपेन्द्र चौधरी द्वारा प्रबंध निदेशक उत्तराखण्ड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड को प्रेषित परिपत्र में स्पष्ट किया गया है कि-
राज्य सरकार के अधीन विभागों/संस्थानों में UPNL के माध्यम से तैनात ऐसे कार्मिक, जिन्होंने 12 वर्ष या उससे अधिक की निरंतर सेवा पूर्ण कर ली है, उन्हें समान कार्य-समान वेतन के सिद्धांत पर वेतनमान का न्यूनतम वेतन एवं महंगाई भत्ता प्रदान किया जाएगा।
अन्य UPNL कार्मिक, जिन्होंने चरणबद्ध रूप से निरंतर सेवाएं पूर्ण की हैं, उन्हें भी यथाशीघ्र समान कार्य-समान वेतन के सिद्धांत के अनुरूप वेतनमान का न्यूनतम वेतन एवं महंगाई भत्ता प्रदान किया जाएगा।
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि उपरोक्त निर्णयों के क्रम में औपचारिक आदेश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे, ताकि कार्मिकों को समयबद्ध रूप से लाभ मिल सके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार उपनल कार्मिकों के हितों के प्रति प्रतिबद्ध है तथा उनके दीर्घकालिक हितों की रक्षा हेतु आवश्यक निर्णय लगातार लिए जा रहे हैं।
प्रतिनिधि मंडल में हरीश कोठारी, महेश भट्ट, विनय प्रसाद, जगत राम भट्ट, अजय डबराल और पीएस बोरा शामिल रहे।
