देहरादून
मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का नाम बदलने को लेकर भारतीय संसद में चर्चा जारी है, ऐसे में अब उत्तराखंड के भाजपा विधायक सुर्खियों में चल रहा है।
बताया जाता है कि प्रदेश के कई मजदूरों को लंबे समय से मनरेगा की मजदूरी नहीं मिल पा रही है, 15 दिन में भुगतान करने की इस रोजगार गारंटी मे कई मजदूरों को वर्षों से भुगतान नहीं हुआ है, ऐसे में कथित तौर पर भाजपा विधायक और उनकी पत्नी के खाते में मनरेगा के भुगतान किए जाने का मामला सुर्खियों में है।
उत्तरकाशी के पुरोला क्षेत्र के विधायक दुर्गेश्वर लाल और उनकी पत्नी के खातों में मनरेगा की धनराशि जाने का मामला लगातार सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यह चर्चा का विषय बना हुआ है। इस संबंध में विकासखंड कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि यह धनराशि पूर्व में उनके जॉब कार्ड के आधार पर डाली गई थी। वहीं विधायक का कहना है कि यह उनको बदनाम करने की साजिश है।
पुरोला क्षेत्र के विधायक दुर्गेश्वर लाल और उनकी पत्नी निशा पर मनरेगा की धनराशि अपने खातों में डलवाने का आरोप है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे मामले में वर्ष 2021 से 2025 तक रेक्चा गांव में ग्यारह कार्यों के तहत विधायक और उनकी पत्नी के खाते में मनरेगा की धनराशी जाने की बात सामने आई है। यह धनराशि करीब 17 हजार से अधिक बताई जा रही है। इस मामले के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।
हालांकि, इस संबंध में खंड विकास अधिकारी बृजमोहन बिंजोला ने कहा कि डीपीओ से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार दुर्गेश्वर लाल के विधायक बनने से पहले उनका और उनकी पत्नी का जॉब कार्ड बना हुआ था। इसलिए किसी ने अपनी निर्माण सामग्री की धनराशि उनके खाते में डाली थी। उनकी ओर से वह पैसा वापस किया जा रहा है। मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।
दूसरी तरफ , विधायक दुर्गेश्वर लाल का कहना है कि यह उनको बदनाम करने की साजिश है। जबकि उनके परिवार का जॉब कार्ड और अंतोदय कार्ड पुर्व में ही निरस्त करवा दिया गया है।
बताते चलें कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) एक प्रमुख कार्यक्रम रहा है जिसका लक्ष्य बिना कौशल वाले काम करने को तैयार गांव के परिवारों को प्रति वर्ष कम से कम 100 दिन की गारंटी वाला काम देकर रोजी-रोटी की सुरक्षा बढ़ाना था।