देहरादून
उत्तराखंड संस्कृति, साहित्य एवं कला परिषद के तत्वावधान में निकट रिस्पना पुल, हरिद्वार बाईपास रोड पर आयोजित ‘अटल व्यक्तित्व एवं कृतित्व’ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की उत्तराखंड राज्य निर्माण में ऐतिहासिक भूमिका और उनके कवि हृदय व सरल स्वभाव के संस्मरण साझा किए। भावुक होते हुए उन्होंने आगामी पीढ़ी को उनके आदर्शों पर चलने की प्रेरणा दी।
आरएसएस के विशेष वक्ता प्रेम बडाकोटी ने जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी तक के सफर को त्याग, बलिदान, राष्ट्रप्रेम और आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना से जोड़ते हुए वर्तमान परिप्रेक्ष्य में साकार होते दिखाया। विभाग प्रमुख गजेन्द्र खंडूरी ने जोर देकर कहा कि स्वच्छ राजनीति अटल का प्रथम और अंतिम ध्येय था उन्होंने कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।
कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना और मंगल गीत से हुई, जिसमें मीरा नवेली और राकेश जैन ने अटल जी की कविताओं का भावपूर्ण पाठ किया। परिषद की उपाध्यक्ष मधु भट्ट ने विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों की जानकारी साझा की। बच्चों ने उनकी कविताओं पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जबकि महादेवी कन्या इंटर कॉलेज की छात्राओं ने ‘वंदे मातरम’ गीत गाकर समा बांध दिया।
पुनीत मित्तल, विजय स्नेही और डॉ. आदित्य कुमार ने अटल जी के पारिवारिक संबंधों के हृदयस्पर्शी संस्मरण सुनाए। कवि, साहित्यकार, विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि, पीएसडी कर रहे छात्र-छात्राएं भारी संख्या में उपस्थित रहे। रायपुर विधायक उमेश काऊ, सुभाष बड़थ्वाल, हरीश नारंग, साहित्यकार मुनेन्द्र, नीरज उनियाल, वंदना श्रीवास्तव, कंचन गुनसोला, आंदोलनकारी मनोज ध्यानी, इस्कॉन से केशव भारती, आचार्य विपिन जोशी साधना शर्मा सहित अनेक गणमान्य लोगों ने सहभागिता की।
