उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन से जुड़े अभिलेखों की प्रदर्शनी का शुभारम्भ दून पुस्तकालय में किया गया

देहरादून

राज्य स्थापना दिवस के रजत जयंती अवसर पर राज्य अभिलेखागार, (संस्कृति विभाग)उत्तराखण्ड तथा दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के संयुक्त तत्वाधान में तीन दिवसीय प्रदर्शनी का शुभारम्भ किया गया। दून पुस्तकालय के एम्फीथियेटर में आयोजित यह प्रदर्शनी उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन से जुड़े विविध अभिलेखों पर केन्द्रित है।

दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के अध्यक्ष प्रो. बी.के. जोशी, उत्तराखण्ड शासन के संस्कृति सचिव जुगल किशोर पंत द्वारा इस प्रदर्शनी का शुभारम्भ किया गया। शुभारम्भ के अवसर पर राज्य आंदोलनकारी रविन्द्र जुगराण और जनकवि अतुल शर्मा भी मुख्य रूप से उपस्थित थे।

13 नवम्बर, 2025 तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में राज्य अभिलेखागार,उत्तराखण्ड की ओर से उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन से जुड़े विविध अभिलेखों को प्रदर्शित करने का सार्थक प्रयास किया गया है।

प्रदर्शनी के अवलोकन पर आये केन्द्र के अध्यक्ष प्रो. बी. के. जोशी ने कहा कि यह प्रदर्शनी उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारियों के संघर्ष, त्याग, तप, समपर्ण और शहादत के विविध पक्षों को अभिलेखों के माध्यम से उजागर करती है। उन्होंने इस महत्वपूर्ण प्रयास के लिए राज्य अभिलेखागार, (संस्कृति विभाग)उत्तराखण्ड को साधुवाद दिया और कहा कि इस प्रदर्शनी के तमाम अभिलेखों से युवाओं, छात्रों व शोधार्थियों सहित आम जन मानस को उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के इतिहास पर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकेगी।

प्रदर्शनी शुभारम्भ के दौरान संस्कृति सचिव, जुगल किशोर पंत, राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद से जुड़े रविन्द्र जुगराण, आंदोलन में जनगीतों से जोश जगाने वाले डॉ. अतुल शर्मा, राज्य आंदोलन कारी प्रदीप कुकरेती,सुशील त्यागी, प्रदीप डबराल, शोभा शर्मा, रंजना शर्मा, प्रसिद्ध इतिहासकार पद्मश्री डॉ. यशवन्त सिंह कठोच, दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी, दीवान बोरा, राजू गुंसाई, शैलेन्द्र नौटियाल का सानिध्य रहा.

प्रदर्शनी के संयोजक डॉ. लालता प्रसाद और राज्य अभिलेखागार के मनोज जखमोला ने जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यत: इस प्रदर्शनी में राज्य आंदोलन के दौरान समाचार पत्रों में प्रकाशित जुलूस,लाठीचार्ज, फायरिंग, आगजनी, गिरफ्तारी व कर्फ्यू की खबरें व चित्र प्रमुखता से लगाये गये हैं। . आंदोलन से से जुड़े पोस्टर, पर्चे, सूचना,पम्पलेट, जनगीत, कविताएं, नारे भी इसमें शामिल हैं। इसके अलावा तत्कालीन उ.प्र. व अन्य राज्यों की सरकारों तथा केंद्र की सरकारों के मध्य विविध पत्राचार पत्रों की प्रतियां, सहयोग पत्र, अखबारों के सम्पादकीय कॉलम व पुस्तकों में प्रकाशित विविध आलेख, विचार व समर्थन से जुड़े अनेक वक्तव्य भी इस प्रदर्शनी में शामिल किये गये हैं।

प्रदर्शनी के शुभारम्भ के दौरान सामाजिक इतिहासकार डॉ. योगेश धस्माना, कर्नल शैलेन्द्र सिंह रौतेला, जय भगवान गोयल, जगदीश सिंह महर, आशीष कुमार, प्रभारी निदेशक संस्कृति विभाग, सुशील कुमार, विनोद सिंह पंवार, सहित अनेक प्रबुद्ध जन, पुस्तकालय के युवा पाठक, इतिहास प्रेमी और शहर के अनेक नागरिक जन शामिल रहे।

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