देहरादून
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से उत्पन्न हुए जल संकट से निपटने के लिए हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी विभिन्न प्रकार के कार्य कर रहा है। संस्थान वर्ष 2025 को जल वर्ष के रूप मना रहा है।
इसी क्रम में राज्य ब्रांड एंबेसडर जल संरक्षण द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने आज नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन के बेरी से मुलाकात कर जल संरक्षण के कार्यों के संदर्भ में कुछ नीतिगत फैसले लेने के संदर्भ में निम्न बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने हर संभव सहयोग करने की बात की है।
👉1. जल संरक्षण के कार्यों के लिए चारधाम सड़क परियोजना एवं अन्य विकासात्मक परियोजना के निर्माण में जिस तरह वन कानून में छूट / शिथिलता बरती जाती है वैसे ही जल संरक्षण के कार्यों के लिए छूट दी जाए तभी समुदाय जल संरक्षण के कार्यों में जुड़ पाएगा। नहीं तो जिस तरह वनाअग्नि में सहयोग के लिए समुदाय दूर हुआ है ठीक वही स्थिति जल संरक्षण के कार्यों की भी होगी।
👉2. जल स्रोतों को सीमेंट से मुक्ति – जल स्रोतों, नौलों, धारों, सिल्वाड़ी आदि स्थानों पर सीमेंट से जुड़े कार्य तत्काल रूप से प्रतिबंधित हो।
👉3. जल स्रोतों नौलों, धारों के मुहाने वाले स्थानों को रिजर्व एरिया घोषित किए जाए। उनके प्राकृतिक स्वरूप से छेड़ छाड़, अतिक्रमण को आपराधिक कृत्य घोषित किया जाए।
🍮4. देहरादून सहित राज्य के अन्य स्थानों पर तालाब, जोहड़, नौलों, बावड़ियों पर हुए अतिक्रमण को चिन्हित कर उनको अतिक्रमण मुक्त किया जाए।
👉5. हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी के द्वारा चलाए जा रहें कल के लिए जल अभियान, एक विद्यालय एक जल स्रोत कार्यक्रम को राज्य स्तर पर लागू किया जाए।