देहरादून
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS), देहरादून द्वारा पेयजल विभाग, उत्तराखंड के राज्य एवं जिला स्तरीय अभियंताओं एवं अधिकारियों के लिए दो दिवसीय क्षमता वर्धन कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य भवन निर्माण, जल आपूर्ति, अपशिष्ट जल प्रबंधन, वर्षा जल संचयन, स्वच्छता प्रणालियों तथा संबंधित बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं में भारतीय मानकों एवं उत्कृष्ट तकनीकी पद्धतियों की जानकारी प्रदान करना था।
यह कार्यक्रम पेयजल विभाग के प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान जी के मार्गदर्शन में सम्पन्न हो गया।
BIS देहरादून के निदेशक सौरभ तिवारी ने बताया
“भारत जैसे विकासशील देश में बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता सुनिश्चित करना समय की आवश्यकता है, विशेषकर जल और स्वच्छता से जुड़े क्षेत्रों में। BIS द्वारा विकसित भारतीय मानक इन सभी पहलुओं में मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं।
यह कार्यक्रम अभियंताओं को तकनीकी दक्षता, मानकों के अनुपालन और जल प्रबंधन परियोजनाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने में सहायता करेगा।”BIS के उद्देश्यों, कार्यों एवं ज़मीनी स्तर पर किए जा रहे जागरूकता कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी दी।
इस अवसर पर पेयजल विभाग के मुख्य अभियंता इंजीनियर संजय सिंह भी उपस्थित रहे। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम अभियंताओं के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। BIS के तकनीकी मानकों की जानकारी हमें परियोजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने में सहायक होगी।
डी.के. बंसल, GM पेयजल विभाग ने BIS द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि BIS द्वारा स्थापित मानकों के माध्यम से जल एवं स्वच्छता परियोजनाओं की गुणवत्ता में वृद्धि संभव है। विभाग और BIS मिलकर उत्तराखंड में टिकाऊ एवं गुणवत्तापूर्ण जल ढांचे के निर्माण में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
तकनीकी सत्र का संचालन BIS के विशेषज्ञ फैकल्टी कमलजीत घई (RP) द्वारा किया गया। उन्होंने निम्नलिखित महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से जानकारी दी गई…
जल आपूर्ति, जल निकासी एवं स्वच्छता की उत्तम पद्धतियाँ– भवनों की दीर्घकालिक उपयोगिता हेतु प्रभावी जल प्रबंधन और स्वच्छता उपायों की जानकारी।
पेयजल आपूर्ति सेवाओं एवं परिसंपत्ति प्रबंधन प्रणाली – जल वितरण व्यवस्था को कुशल बनाने हेतु परिसंपत्तियों के नियोजन एवं रख-रखाव की आवश्यकता।
पेयजल गुणवत्ता, सैंपलिंग व परीक्षण हेतु BIS मानक– BIS द्वारा निर्धारित परीक्षण विधियों की जानकारी।
वर्षा जल संचयन में BIS मानकों की भूमिका– वर्षा जल संकलन हेतु मानकों की उपयोगिता।
अपशिष्ट जल नेटवर्क में परिसंपत्ति प्रबंधन*के– सीवेज सिस्टम की स्थायित्वपूर्ण संरचना के लिए दिशानिर्देश।
जैविक पाचन प्रणाली एवं IS 18150 मानक– बायोडाइजेस्टर तकनीक की BIS मानकों के अनुरूप व्याख्या।
पैकेज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स हेतु IS 18797 मानक– सीमित स्थानों पर प्रभावी सीवेज शोधन के लिए समाधान।
पॉलीइथिलीन से निर्मित सेप्टिक टैंकों हेतु IS 18666 मानक– सुरक्षित सेप्टिक टैंक निर्माण की प्रक्रिया।
सीवर पुनर्वास की मानकीकरण प्रक्रिया– पुरानी सीवर लाइनों के आधुनिकीकरण में मानकों की भूमिका।
पंपिंग सिस्टम्स में मानकीकरण की भूमिका– जल परिवहन प्रणाली में दक्षता हेतु आवश्यक मानक।
कार्यक्रम के दौरान पेयजल विभाग के 40 से अधिक वरिष्ठ अभियंता एवं अधिकारी उपस्थित रहे।
वहीं ऑनलाइन माध्यम से उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से 20 से अधिक अभियंता भी इश्कदौरान जुड़े रहे, जिन्होंने तकनीकी सत्रों में सक्रिय भागीदारी निभाई।