कांग्रेस विधायक लखपत बुटोला ने प्रेस वार्ता में लगाया राज्य सरकार पर पहाड़ की उपेक्षा का आरोप – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

कांग्रेस विधायक लखपत बुटोला ने प्रेस वार्ता में लगाया राज्य सरकार पर पहाड़ की उपेक्षा का आरोप

देहरादून/ऋषिकेश

कांग्रेस विधायक लखपत बुटोला ने ने प्रदेश सरकार पर पहाड़ी और मैदानी विधायकों में भेद‌भाव करने का आरोप लगाया है।

उन्होंने कहा कि हरिद्वार के जितने क्षेत्रफल से 11 विधायक हैं उससे ज्यादा क्षेत्रफल में वह एक विधायक हैं और उसके बावजूद हरिद्वार और बदरीनाथ के विधायक के लिए एक जैसे मानक बनाये गए हैं।

कांग्रेस विधायक लखपत सिंह बुटोला ने गुरुवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता की थी और आज ऋषिकेश में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे।

विधायक ने कहा कि बजट सत्र के दौरान विधानसभा में जो कुछ भी हुआ है उससे वह बहुत आहत हैं और उससे ज्यादा दुख उनको इस बात पर है कि जिस पहाड़ की गरीब जनता को गाली दी जा रही है उसने विधायक और सांसद मौन साधे हुए हैं। उन्होंने कहा कि पहाड़ वासियों की समस्यायें पहाड़ जैसी ही हैं। लेकिन देहरादून में पहाड़ के विधायकों के साथ भेदभाव होता है। जो कुछ सदन में हुआ वह भी इसी की परिणाम था।

बुटोला ने सदन में हुए प्रकरण में इस दौरान मौन रहने वाले विधायकों को भी कटघरे में खड़ा किया। इसके साथ ही पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत की भी खुले तौर पर तारीफ की।

बुटोला ने कहा कि उत्तर प्रदेश से अलग होने की वजह सिर्फ पहाड़ की भौगोलिक परिस्थितियां और यहां की समस्याओं का समाधान था, लेकिन आज सदन के अंदर पहाड़ के स्वाभिमान को ललकारने का काम किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि वह पहाड़ और मैदान के विरोधी नहीं हैं। लेकिन यह समझना होगा कि राज्य की पहचान तो यहां के पहाड़ ही हैं। लेकिन प्रदेश सरकार जो योजनाएं बना रही हैं और जो बजट दे रही है, उसमें पहाड़ की उपेक्षा ही हो रही है। पहाड़ के विधायकों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। पहाड़ के विधायक अपनी बात कहना चाहते हैं, लेकिन उन्हें बात रखने तक का मौका नहीं दिया जाता है।

बुटोला ने कहा कि पहाड़ से जो लोग देहरादून में विधानसभा और सचिवालय में अपने काम के लिए आते हैं, उनको विधानसभा या सचिवालय में प्रवेश पास के लिए लाले पड़ जाते हैं।

उन्होंने कहा कि जनपद हरिद्वार और देहरादून के एक विधायक को जितनी विधायक निधि और बजट मिलता है, उतना ही पर्वतीय क्षेत्र के विधायक को मिलता है, जबकि पहाड़ के विधानसभा क्षेत्रों की भौगोलिक परिस्थितियां मैदान से बिल्कुल अलग है।

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