देहरादून/नालागढ़ (HP)
हिमाचल प्रदेश के फार्मा उद्योग पर एक बड़ा झटका लगा है। केंद्र सरकार के ड्रग अलर्ट में राज्य के 38 दवाओं समेत देशभर की 94 दवाओं के सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे।
इनमें एसिडिटी, बुखार, पेट के अल्सर, हृदय रोग, सूजन, आर्थरायटिस, पेट के कीड़े और हाई बीपी जैसी आम बीमारियों के इलाज वाली दवाएं शामिल हैं। राज्य दवा नियंत्रक ने फेल सैंपलों वाले उत्पादकों के लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे फार्मा हब बद्दी-नालागढ़ में हड़कंप मच गया है।
अगस्त माह के ड्रग अलर्ट में हिमाचल के कई प्रमुख कारखानों की दवाएं फेल हुईं। बद्दी के सिगमा साफ्टजैल एंड फार्मूलेशन में बने ओमेगा-3 फैटी एसिड कैप्सूल (दिल की बीमारियों के लिए) और सिरमौर के इंटीग्रेटेड लैबोरेट्री में निर्मित डेक्सामेथासोन सोडियम फॉस्फेट इंजेक्शन (आर्थरायटिस के लिए) गुणवत्ता टेस्ट में नाकाम रहे।
इसी तरह, पांवटा साहिब के जो लैबोरेट्री में बने एमिकासिन सल्फेट इंजेक्शन (मूत्र संक्रमण के लिए) और नालागढ़ के सीबी हेल्थकेयर में तैयार ट्रामाडोल हाइड्रोक्लोराइड कैप्सूल (दर्द निवारक) भी फेल हो गए।बद्दी के झाड़माजरी स्थित स्माइलैक्स हेल्थकेयर में बने आयरन एंड फॉलिक एसिड सिरप के पांच सैंपल भी खराब पाए गए, जिनकी एक्सपायरी जुलाई 2025 से जून 2027 तक है।
इसके अलावा, बद्दी में बने पांच अन्य सिरप—बुखार, एसिडिटी, मांसपेशी दर्द, खांसी-जुकाम और विटामिन सप्लीमेंट्स से जुड़े—भी फेल हुए। पैरासिटामोल, ट्रामाडोल और ओमेगा-3 जैसी दवाओं की खराबी से मरीजों के स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो गया है।
प्रमुख फेल दवाएं
राज्य दवा नियंत्रक डॉ. मनीष कपूर ने बताया, “फेल सैंपलों वाले उद्योगों को नोटिस जारी कर बाजार से बैच हटाने के आदेश दिए गए हैं। लगातार फेल होने वाली इकाइयों की आंतरिक जांच होगी और उनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कार्रवाई जन स्वास्थ्य की रक्षा के लिए अनिवार्य है।
स्थानीय उद्योग संगठनों ने चिंता जताई है कि इससे रोजगार प्रभावित हो सकता है, लेकिन अधिकारी सख्ती पर अड़े हैं।यह मामला दवा उद्योग में गुणवत्ता नियंत्रण की ढील को उजागर करता है। मरीजों से अपील की गई है कि वे संदिग्ध दवाओं का सेवन न करें और डॉक्टर की सलाह लें। जांच पूरी होने के बाद और कार्रवाई की अपडेट दी जाएगी।