दो दो युद्ध लड़ चुके लेफ्टिनेंट कर्नल रविन्द्र की आँखें मरणोपरांत नेत्रदान के बाद देंगी दो लोगों को रोशनी,अब तक गोपाल नारंग दिला चुके 419 लोगों के नेत्रदान से 838 लोगों को रोशनी

देहरादून/ऋषिकेश

दो दो युद्ध में अपने देश की रक्षा करने वाले फौजी ने दुनिया छोड़ने से पहले आंखे दान कर दिया समाज को प्रेरणादायक संदेश।

1965 में पाकिस्तान और 1971 में बांग्लादेश के खिलाफ युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले 81 वर्षीय लेफ्टिनेंट कर्नल रविंद्र कुमार मेहरोत्रा अपने निधन के बाद नेत्रदान कर देशवासियों को प्रेरणादायक संदेश दे गए।

नेत्रदान स्वयंसेवक एवं लायंस क्लब ऋषिकेश देवभूमि के चार्टर अध्यक्ष लायन गोपाल नारंग के अनुसार, सहस्त्रधारा मार्ग, देहरादून निवासी लेफ्टिनेंट कर्नल रविंद्र कुमार मेहरोत्रा का स्वास्थ्य खराब होने पर उन्हें मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

चिकित्सकों द्वारा ब्रेन डेथ घोषित किए जाने के बाद उनकी पत्नी दीपा मेहरोत्रा और पुत्री शुभी ने पिता के अंगदान की इच्छा से अवगत कराया। उम्र अधिक होने के कारण डॉक्टर पुनीत अरोड़ा ने उन्हें केवल नेत्रदान की सलाह दी। परिजनों की स्वीकृति मिलने पर, अस्पताल की चिकित्सक डॉ. मीनल चौहान, जो पूर्व में भी क्लब के माध्यम से नेत्रदान करा चुकी हैं, ने गोपाल नारंग को इसकी सूचना दी,

उन्होंने मृत्योपरांत सूचना मिलये ही हिमालयन अस्पताल की टीम के साथ समन्वय स्थापित किया, जिसके बाद डॉक्टरों ने दिवंगत के नेत्र सुरक्षित रूप से प्राप्त कर लिए।

वहीं दूसरी तरफ नेत्रदान की इस श्रृंखला में गुमानीवाला श्यामपुर

बाईपास निवासी नेत्रदान से जुड़े लायन धीरेन्द्र अग्रवाल ने भी अपने 80 वर्षीय पिता चंद्र प्रकाश के निधन पर नेत्रदान का निर्णय ले कर गोपाल नारंग को सूचित किया जिनके आग्रह पर हिमालयन अस्पताल की डा अनुष्का,डा भाविक ने उनके निवास पर पहुंचकर नेत्रदान का पुनीत कार्य कराया ।

नेत्र दान के पुनीत कार्य पर संचित अरोड़ा, अरमान मेहरोत्रा, हिमांशु जोशी, विशाल बिंदल द्वारा परिवार को साधुवाद प्रेषित किया गया है।

लायंस क्लब ऋषिकेश देवभूमि के जनसंपर्क अधिकारी लायन मनमोहन भोला के अनुसार, नेत्रदान महादान हरिद्वार-ऋषिकेश टीम द्वारा अब तक 419 व्यक्तियों के नेत्रदान कराए जा चुके हैं, जिनसे 838 लोगों को दृष्टि प्राप्त हो चुकी है।

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