वन मुख्यालय में वनाग्नि को लेकर बैठक सम्पन्न,वनाग्नि सत्र-2025 में विगत 2 वर्षों की तुलना में वर्तमान तक कम घटित हुई वनाग्नि घटनाएँ – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

वन मुख्यालय में वनाग्नि को लेकर बैठक सम्पन्न,वनाग्नि सत्र-2025 में विगत 2 वर्षों की तुलना में वर्तमान तक कम घटित हुई वनाग्नि घटनाएँ

देहरादून

अपर प्रमुख वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबन्धन, उत्तराखण्ड द्वारा बुधवार को वन मुख्यालय स्थित “वीडियो कॉन्फ्रन्सिग कक्ष में वनाग्नि प्रबन्धन / नियंत्रण के संबंध में समीक्षा बैठक ली गयी।
बैठक में अपर प्रमुख वन संरक्षक, वन्यजीव, उत्तराखण्ड, वन संरक्षक, भागीरथी, गढ़वाल, यमुना, नन्दादेवी बायोस्फियर रिजर्व एवं प्रभागीय वनाधिकारियों / उप निदेशकों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

बैठक में निर्देश दिये गये कि वर्तमान वनाग्नि सत्र के दौरान अलर्ट मोड में रहें एवं सेटेलाइट द्वारा प्राप्त हो रहे फायर एलर्ट्स पर न्यूनतम रिस्पॉन्स टाइम रखते हुए कार्यवाही की जाये।
21 अप्रैल तक एफएसआई द्वारा प्राप्त अलर्टों की सूची में पूरे देश में उत्तराखण्ड 19वें स्थान पर है। यह भी अवगत कराया गया कि वनाग्नि सत्र-2025 में विगत 2 वर्षों की तुलना में वर्तमान तक कम वनाग्नि घटनाएँ घटित हुई है।
परन्तु आगामी अवधि में पूर्ण सतर्कता बरतते हुए वनाग्नि घटनाओं की सूचना मिलने पर त्वरित रूप से अपेक्षित कार्यवाही करनी है एवं साथ ही जिला स्तर पर सभी सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए अपेक्षित सहयोग प्राप्त किया जाये।

इसके साथ ही शासनादेश दिनांक 21.03.2025 में निहित प्रावधानों के अनुसार प्रदेश के अन्तर्गत प्रथम चरण में अतिसंवेदनशील चीड़ बाहुल्य क्षेत्रों में वनाग्नि सुरक्षा प्रबन्धन समितियों के गठन के प्रस्ताव (उपलब्ध वित्तीय संसाधन के अनुरूप) प्रेषित करने हेतु निर्देश दिये गये।
उक्त के अतिरिक्त निम्नानुसार कार्यवाही हेतु निर्देश दिये गये…
1. चीड़ पिरूल एकत्रीकरण हेतु शासन द्वारा चीड़ एकत्रीकरण दरों में वृद्धि के संबंध में प्रिन्ट/इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से वृहद प्रचार-प्रसार किया जाये।
2. चीड़ एकत्रीकरण हेतु संग्रहण केन्द्रों की स्थापना की जाये। इसके साथ ही एकत्रित पिरूल के उपयोग हेतु Forward linkage स्थापित किये जाये।
3. चारधाम यात्रा के दृष्टिगत यात्रा मार्गों पर वनाग्नि नियंत्रण हेतु सम्बन्धित प्रभागीय वनाधिकारियों को समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु अवगत कराया गया।
4. वनाग्नि प्रबन्धन सम्बन्धी गतिविधियों का वृहद रूप से प्रिन्ट / इलैक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया से प्रचार-प्रसार किया जाये ।

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