प्रदेश की राजधानी दून की सड़को को निराश्रित पशुओं से मुक्त करने हेतु चला नगर निगम का अभियान – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

प्रदेश की राजधानी दून की सड़को को निराश्रित पशुओं से मुक्त करने हेतु चला नगर निगम का अभियान

देहरादून
दून की सड़को को स्वच्छन्द विचरण करने वाले निराश्रित पशुओं (गाय,भैंस,घोड़ा,गधा आदि) से मुक्त करने के लिए नगर आयुक्त मनुज गोयल ने नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश दिये हैं।
बताते चलें कि नगर निगम के वरिष्ठ पशुचिकित्सा अधिकारी डा डीसी तिवारी द्वारा शहर से निराश्रित पशुओं को पकड़ने हेतु दो टीमें बनायी गई है। ये टीमें शहर की सड़को से निराश्रित पशुओं को पकड़कर देहरादून की मान्यता प्राप्त गौशालाओं में उनकी रिक्त क्षमताओं के अनुसार छोड़ा जायेगा। यह अभियान आगे भी लगातार जारी रहेगा।
वर्तमान में नगर निगम के पास गौसदनों की स्थिति…
वर्तमान में नगर निगम के पास 300 गौवंशीय पशुओं की क्षमता का कांजीहाउस केदारपुर तथा 300 गौवंशीय पशुओं की क्षमता का गौसदन शंकरपुर में है। जहां पर क्षमता से अधिक पशु है तथा इनका संचालन इसी माह से शासन द्वारा निर्धारित आदर्श मानक प्रक्रिया (SOP) के तहत मान्यता प्राप्त संस्थाओं से कराया जा रहा है।
नगर निगम द्वारा शंकरपुर स्थित गौसदन में 400 अतिरिक्त पशुओं हेतु क्षमता विस्तार की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है शीघ्र ही कार्य प्रारम्भ कर दिया जायेगा।
नगर निगम द्वारा अभियान के तह्त वीरवार को की गयी कार्यवाही…
👉🏼निरंजनपुर मंडी से 1 गाय, 1 बछडी, 2 बछडे तथा 4 सांड।
👉🏼मोहब्बेवाला से 1 गाय पकडी।
👉🏼सहस्त्रधारा रोड हेलीपैड के पास से 3 आवारा सांड।
👉🏼 राजपुर से 2 आवारा सांड।
👉🏼मयूर विहार से 1 गाय 1 बछडी।
👉🏼 डोभालचैक से 2 गाय 1 बछडा पकड़ा।
आप भी।जानिए क्या हैं आखिर ये नियम….
👉उत्तराखण्ड गोवंश संरक्षण अधिनियम 2007 यथा संशोधित अधिनियम 2015 की धारा-8 के तह्त अपने पशुओं को सड़को पर खुला छोडना दण्डनीय अपराध है ।
👉 सड़कों पर पशु को खुला छोड़ने वाले पशु स्वामी पर 2000 रू प्रति पशु आर्थिक दण्ड का प्राविधान है।
👉पशुक्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा-11 के तहत भी पशुओं को परित्यक्त करना पशुओं के प्रति क्रूरता है।
नगर आयुक्त ने शहरवासियों से भावना अपील करते हुए कहा कि पशुपालक अपने पशुओं को सड़क पर न छोड़ें।
उन्होने कहा है कि शहर पर विचरण करने वाले स्वच्छन्द पशुओं से यातायात बाधित होने के साथ-साथ जहां एक ओर जनता के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा बना रहता है वहीं दूसरी तरफ पशु भी दुर्घटनाओं का शिकार होते है।

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