देहरादून
राफेल द्वारा 3 से 6 दिसंबर तक तीन दिवसीय दिव्यांग सप्ताह मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य बौद्धिक दिव्यांगता के प्रति जागरूकता, संवेदनशीलता एवं समावेशन को बढ़ावा देना है।
इस क्रम में शुक्रवार को राफेल परिसर में एक समावेशी मेले का आयोजन किया गया। इसमें विशेष विद्यालयों के छात्रों समेत कई स्कूलों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे आपसी संवाद, सीख और आनंद का एक रंग बिरंगा माहौल बन गया। मेले में आसरा, लक्ष्मी देवी, पुरकुल स्कूल, वेल्हम गर्ल्स, ओएसिस तथा ज्ञानांदा जैसे शहर के नामचीन विद्यालयों ने प्रतिभाग किया, जिससे कार्यक्रम और भी जीवंत व सार्थक नजर आया।
मेले में विभिन्न रोचक स्टॉलों ने बच्चों का ध्यान आकर्षित किया, जिनमें हूपला, फीड द जोकर, हिट द टारगेट, फेस मास्क मेकिंग, ब्लाइंडफोल्ड गेम तथा स्टिक-ए-बिंदी प्रमुख रहे। इन गतिविधियों ने सहभागिता, मोटर स्किल्स, मिलनसारिता तथा मनोरंजन – सभी को एक ही मंच पर जोड़ दिया।
कार्यक्रम का विशेष आकर्षण का केंद्र रहा और साथ में राफेल का भेलपुरी स्टॉल, जिसे राफेल के स्टाफ और छात्रों द्वारा संचालित था बेहद पसंद किया गया। इस स्टॉल ने राफेल के विद्यार्थियों को आत्मविश्वास, स्वावलंबन और सहभागिता का एक और वास्तविक अवसर प्रदान किया,यह समावेशन की सच्ची मिसाल थी।
वहीं दून लाइब्रेरी द्वारा लगाया गया आर्ट एवं थिएटर स्टॉल कार्यक्रम रचनात्मकता और अभिव्यक्ति का एक खास रंग लेकर आया। इसे किड्स लाइब्रेरी की मेघा विल्सन, आसरा की शिवानी एवं थिएटर कलाकार सुभाष द्वारा संचालित किया गया। इसी प्रकार, साइलेंट बेकरी द्वारा लगाए गए बेकरी स्टॉल को भी आगंतुकों ने बेहद सराहनीय रहा।
बताते चलें कि राफेल की स्थापना वर्ष 1959 में देहरादून में ग्रुप कैप्टन लॉर्ड ज्यॉफ्री लियोनार्ड चेशर (VC, OM, DSO, DFC) एवं उनकी पत्नी बैरोनेस सू राइडर (CMG, OBE) द्वारा की गई थी। संगठन आज भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों एवं बौद्धिक दिव्यांगता से प्रभावित बच्चों एवं व्यक्तियों के लिए निरंतर कार्यरत है।
राफेल अपने लाभार्थियों को सभी सेवाएँ अत्यल्प शुल्क पर उपलब्ध कराता है तथा अपने कार्यों के लिए मुख्यतः सहयोगी दानदाताओं एवं शुभचिंतकों के समर्थन पर निर्भर है।