देहरादून
उत्तराखंड कैडर की आईपीएस अधिकारी (2015 बैच) रचिता ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) हेतु आवेदन किया था जिसको भारतीय पुलिस सेवा द्वारा स्वीकार कर लिया है। केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से जारी किए गए अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रपति ने रचिता के त्यागपत्र को 16 सितंबर 2025 से प्रभावी (अपराह्न) स्वीकार किया है।
इस संबंध में भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अवर सचिव संजीव कुमार द्वारा जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि रचिता अब भारतीय पुलिस सेवा से सेवा मुक्त हो गई हैं।
बताते चलें कि उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव द्वारा भी 25 अगस्त 2025 को रचिता के इस्तीफे से संबंधित प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था। इसके बाद गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दी।
उल्लेखनीय है कि रचिता जुयाल इस समय सतर्कता विभाग में पुलिस अधीक्षक (SP) के पद पर तैनात थीं। उन्होंने मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन को वीआरएस के लिए आवेदन भेजा था, जिसके बाद उनकी सेवानिवृत्ति की विधिक का4य्वाही के उपरांत स्वीकार कर लिया गया है। रचिता जुयाल ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं हैं।
उन्होंने राजभवन में राज्यपाल के एडीसी के रूप में भी बेहतरीन कार्य किया। साथ ही वह इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भी रहीं। इसके साथ ही उन्होंने बागेश्वर जिले की एसपी, नैनीताल जिले की एसपी जैसे महत्वपूर्ण पदों को भी सुशोभित किया।
रचिता 2015 में यूपीएससी परीक्षा में 215वीं रैंक प्राप्त कर भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में चयनित हुई थीं। जिस समय उन्होंने इस्तीफा दिया उस समय काफी बातें उठने लगीं थी। और लोग बहुत हैरान भी थे । लेकिन अपने वीआरएस के पीछे उनके द्वारा व्यक्तिगत रूप से निजी और पारिवारिक कारण बताए थे
एसपी विजिलेंस रहते रचिता जुयाल ने अपनी कार्यशैली से लोगों को बहुत प्रभावित किया था। इतना ही नहीं उन्होंने पुलिस के दरोगा को भी ट्रैप कर जेल के सलाखों के पीछे पहुंचाया था।