देहरादून/उत्तरकाशी
यमुनोत्री घाटी के स्यानाचट्टी कस्बे में शुक्रवार को जल प्रलय का मंजर नजर आया। गढग़ाड़ से आए भारी मलबे और बोल्डरों ने यमुना नदी का प्रवाह रुक जाने से नदी का पानी कस्बे में घुस गया। देखते ही देखते मकान, दुकानें, होटल और स्कूल कई कई फिट तक पानी में समा गए। यमुनोत्री हाइवे का मोटर पुल भी जलमग्न हो गया, जिससे आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई।
हालात बिगड़ते ही जिला प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई की और आसपास के घरों व होटलों को खाली करा दिया। जिलाधिकारी प्रशांत आर्य, एसपी सरिता डोबालऔर यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल खुद मौके पर डटे हुए हैं। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, लोनिवि और सिंचाई विभाग की टीमें झील को खोलने और पानी की निकासी के प्रयास में जुटी हैं।
उल3कहानी है कि गुरुवार को अचानक गढग़ाड़ से आए मलबे से यमुना नदी की निकासी बंद होने से स्यानाचट्टी में झील बनना शुरू हो गई थी। शुक्रवार को घरों के डूबने और प्रशासनिक बेरूखी से नाराज क्षेत्रवासियों ने झील के पानी में उतरकर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया। आपदा प्रभावित ज्यादातर क्षेत्रों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ गुस्सा भी है, जो धीरे-धीरे विरोध-प्रदर्शन का रूप भी ले रहा है।
बताया गया कि रातभर पानी चढ़ता रहा, हम घर से सामान तक नहीं निकाल पाए। होटल और दुकानें पूरी तरह डूब गई हैं। वहीं, एक महिला गृहिणी ने कहा कि बच्चों को गोद में लेकर भागना पड़ा। डर था कि कहीं झील का पानी और न बढ़ जाए।
प्रशासन द्वारा आसपास के गांव को भी सतर्क रहने की अपील की गई है। सिंचाई विभाग और एनडीआरएफ की टीम झील के जलस्तर पर लगातार निगरानी कर रही है। जिलाधिकारी ने कहा कि हालात नियंत्रण में हैं, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। लोगों को नदी किनारे न जाने की सख्त हिदायत दी गई है।
हालांकि शुक्रवार सुबह झील का जलस्तर करीब 2 फीट घटा, लेकिन खतरा अब भी बइकरार है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि झील अचानक टूटी तो उसका पानी यमुना घाटी में तबाही मचा सकता है। प्रशासन फिलहाल बैकअप के तौर पर खाली स्कूलों और धर्मशालाओं को राहत शिविरों में बदलने की तैयारी में है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन को झील से पानी की निकासी और स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही भोजन, गैस, दवाइयां, पेट्रोल-डीजल जैसी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित न हो, इसके लिए भी आदेश भीं जारी किए गए हैं