देहरादून
उत्तराखण्ड की राजधानी की महत्त्वपूर्ण विधान सभा कैंट से भाजपा के सबसे वरिष्ठ विधायक 75 वर्षीय हरबंस कपूर अब हमारे बीच में नहीं रहे।
निधन कैसे हुआ, अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन बताया जा रहा कि रात को खाना खाने के बाद लगभग 11 बजे बिस्तर में लेटे परन्तु सुबह देर तक नही उठे टी घर वालो को चिंता हुई। तब उन्होंने उठाने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे। पता चलते ही घर मे कोहराम मच गया। हरबंस कपूर के निधन से पाटी और उनके क्षेत्र के लोगों में भी शोक व्याप्त है।
कपूर भाजपा के बेहद सहज और शालीन नेता थे। उनकी जनता में अच्छी पकड़ रही। जनता की समस्याओं को लेकर वह हमेशा जागरूक रहते थे।
हरबंस कपूर का जन्म (जन्म 7 जनवरी 1946) में हुआ वो एक ऐसे राजनीतिज्ञ रहे जिन्हें उत्तराखंड राजनीति का भीष्म पितामाह कहा जांना गलत नही होगा , आज उनके निधन ने उत्तराखंड बीजेपी को एक बड़ा झटका तो दिया ही है साथ ही उनकी खाली हुई जगह को आने वाले कई सालों तक भरने वाला चेहरा भी नजर नहीं आ रहा है ।भारतीय जनता पार्टी के सच्चे सिपाही कपूर उत्तराखंड विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह 2007 से 2012 तक उत्तराखण्ड विधानसभा स्पीकर रहे।
1985 में पहली हार के बाद, उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नही देखा जा और उसके बाद कभी विधान सभा चुनाव नहीं हारे।हार नाम का शब्द उन्होंने अपने शब्दकोश से जरूर हटा दिया। लेकिन आज जिंदगी की जंग हार गए।
देहरादून से लगातार आठ बार जिसमे उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य के रूप में चार बार और उत्तराखंड विधान सभा सदस्य के रूप में भी चार बार जीतकर विधानसभा पहुंचे।
खबर मिलते ही सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ वंशीधर भगत,धन सिंह रावत,मुन्ना सिंह चौहान,गणेश जोशी,डीजीपी अशोक कुमार,पुनीत मित्तल,सचिन गुप्ता आदि उनके आवास पर पहुंच गए।