STF का साइबर क्राइम पर ऑपरेशन प्रहार..डिजिटल अरेस्ट स्कैम में आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडू व पुडुचेरी में 6 अभियुक्तों के विरुद्ध की वैधानिक कार्यवाही – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

STF का साइबर क्राइम पर ऑपरेशन प्रहार..डिजिटल अरेस्ट स्कैम में आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडू व पुडुचेरी में 6 अभियुक्तों के विरुद्ध की वैधानिक कार्यवाही

देहरादून
सीएम धामी के “VISION सरलीकरण, समाधान एवं निस्तारण” के अन्तर्गत व डीजीपी दीपम सेठ के दिशा निर्देशन में साईबर धोखाधड़ी करने वालों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करते हुये साईबर पीड़ितो को न्याय दिलाया जा रहा है जिसके क्रम में अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून वी. मुरूगेसन तथा पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून नीलेश आनन्द भरणे द्वारा लगातार समीक्षा की जा रही है ।
👉🏽प्रथम प्रकरण में रुडकी जनपद हरिद्वार निवासी पीडिता सेवानिवृत्त महिला बैंक अधिकारी को साइबर ठगों द्वाराउनके पति के बैंक खाते में मनी लाउन्ड्रिंग होने का भय दिखाकर 24 घंटे से भी अधिक समय तक वीडियो/ऑडियो काल के माध्यम से डिजीटल अरेस्ट कर 32 लाख 31 हजार रुपये की धनराशि ठगे जाने के सम्बन्ध में अभियोग पंजीकृत कराया गया था ।
👉🏽 द्वितीय प्रकरण में शिकायतकर्ता/पीडिता के मोबाइल नं0 पर अनजान नम्बर से एक व्हाटसअप कॉल आयी जिसने स्वयं को सीबीआई अधिकारी बताकर कहा कि आपके आधार कार्ड से कैनरा बैंक की मुंबई शाखा में एक बैंक खाता खोला गया है जिसमें 02 करोड रुपये की अवैध धनराशि को लेनदेन हुआ है जो कि *नरेश गोयल नाम के व्यक्ति के मनी लाउंड्रिंग केस से सम्बन्धित है। उसके बाद पीडिता को उसी व्हाटसअप नम्बर से नरेश गोयल उपरोक्त नाम के व्यक्ति का फोटोग्राफ व गिरफ्तारी वारण्ट भेजे गये तथा गिऱफ्तारी का भय दिखाकर वीडियो कॉल पर सीबीआई का गिरफ्तारी वारंट ,आरबीआई, आयकर विभाग व प्रवर्तन निदेशालय का एक नोटिस दिखाया तथा 24 घंटे से भी अधिक समय तक वीडियो/ऑडियो काल के माध्यम से डिजीटल अरेस्ट कर 23 लाख रुपये की धनराशि ठगे जाने के सम्बन्ध में अभियोग पंजीकृत कराया गया था ।
👉🏽 तीसरे प्रकरण में स्वंय को देहरादून स्थित एक प्रतिष्ठित कार कम्पनी के शोरुम का स्वामी बताकर तथा उनकी फोटो को एक नये व्हाटसअप नम्बर पर डीपी के रुप में प्रयोग कर कार कम्पनी के एकाउन्टेंट को मैसेज किया गया तथा बताया गया कि यह मेरा नया नम्बर है, नेटवर्क प्राब्लम के कारण पुराना नम्बर काम नहीं कर रहा है। मैं वर्तमान में किसी जगह पर आया हुया हूं तथा किसी प्रोजेक्ट में मुझे तत्काल कुछ राशि निवेश करनी है चूंकि घटना के समय कम्पनी के मालिक देहरादून से कहीं बाहर गये हुये थे तो एकाउण्टेन्ट के द्वारा विश्वास कर लिया गया। उसके बाद स्वयं को कार कम्पनी का मालिक बताने वाले शख्श के द्वारा एक खाता नम्बर बताया गया तथा एकाउन्टेंट को आरटीजीएस के माध्यम से 38 लाख रुपये की धनराशि जमा करने को कहा गया।
उपरोक्त राशि को जमा करने के बाद पुन: 15 लाख रुपये की धनराशि जमा करने के लिये कहा गया। यह राशि भी जमा होने के बाद पुन: 35 लाख रुपये की धनराशि जमा करने हेतु कहा गया। शक होने पर एकाउन्टेंट के द्वारा कार कम्पनी के स्वामी से उपरोक्त घटना का जिक्र किया गया तब जाकर पता लगा कि वो किसी ठगी का शिकार हो गये हैं जिस पर तत्काल साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन अभियोग पंजीकृत किया गया।
उपरोक्त प्रकरणों की गम्भीरता के दृष्टिगत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ नवनीत सिंह के द्वारा घटना के शीघ्र अनावरण हेतु , अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ स्वप्निल किशोर सिंह के दिशा निर्देशन, पुलिस उपाधीक्षक अंकुश मिश्रा के कुशल पर्यवेक्षण एवं प्रभारी निरीक्षक देवेन्द्र नबियाल के नेतृत्व में पुलिस टीम गठित कर अभियोग के सफल एवं शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये।
साईबर क्राईम पुलिस द्वारा घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/मोबाइल नम्बरों आदि की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनी, तथा मेटा एवं गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया और प्राप्त डेटा का गहनता से विश्लेषण करते हुये तकनीकी / डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर इस घटना में शामिल अभियुक्तों को चिन्ह्ति किया गया एवं तलाश जारी करते हुये कई स्थानों पर दबिश दी गयी, अभियुक्त अत्यंत शातिर थे और लगातार अपने ठिकाने बदल रहे थे।
आखिरकार साईबर पुलिस टीम द्वारा अथक मेहनत एवं प्रयास से तकनीकी संसाधनों का प्रयोग करते हुये डिजीटल अरेस्ट के प्रथम प्रकरण में 01- सथुलुरी सिन्धू पत्नी मुव्वा भार्गव उम्र 35 वर्ष 02- मुव्वा भार्गव पुत्र मुव्वा राजेश्वर राव उम्र 35 वर्ष को मल्लमपेट थाना डूंडीगल कमिश्नरेट हैदराबाद तेलंगाना 03- पी0मणिकन्दन पुत्र पजहानी निवासी 111, अरुनथट्टीपुरम थाना अरियानकुप्पम, केन्द्र शासित प्रदेश पुदुचेरी के खिलाफ आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की गयी से तथा कब्जे से वादी के साथ धोखाधडी में प्रयुक्त बैंक खाते के एसएमएस अलर्ट नं. सहित 01 मोबाईल फोन, सम्बन्धित बैंक खाते की चैक बुक, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि बरामद हुआ। डिजीटल अरेस्ट के द्वितीय प्रकरण में मुख्य अभियुक्त अकुला अरूण पुत्र अकुला पाण्डू निवासी शान्ति नगर थाना लालागूडा सिकन्दराबाद कमिश्नरेट हैदराबाद ( तेलंगाना) के खिलाफ आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की गयी तथा कार शोरुम के एकाउन्टेंट से ठगी के प्रकरण में बालाजी जीवी पुत्र विजय कुमार निवासी 7/5 थिरुमलाई स्कवयर प्रथम तल नोर्थ कोराटूर तिरुवल्लूर चेन्नई-60007 तथा कुमार पुत्र पलानीसामी निवासी 45 अन्ना नगर केजी पुडूर कांगेयम क्रास रोड तिरुपुर तमिलनाडू 641604,के खिलाफ आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की गयी तथा कब्जे से वादी के साथ धोखाधडी में प्रयुक्त बैंक खाते के एस0एम0एस0 अलर्ट नं0 सहित 01 मोबाईल फोन, सम्बन्धित बैंक खाते की चैक बुक, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि बरामद हुआ।
अब तक की विवेचना से प्रकाश में आये अभियुक्तों द्वारा धोखाधडी में प्रयुक्त किये जा रहे उक्त बैंक खाते के विरुद्ध तेलंगाना में करीब 2 करोड, तमिलनाडू में 2.70 करोड व महाराष्ट्र राज्य में 3.40 करोड रुपये की ठगी की शिकायतें भी दर्ज होना पायी गयी हैं।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ उत्तराखण्ड नवनीत सिंह के द्वारा बताया गया कि डिजिटल हाउस अरेस्ट एक ऐसा तरीका है जिसमें जालसाज, लोगों को उनके घरों में ही फंसाकर उनसे धोखाधड़ी करते हैं। ये जालसाज फोन या वीडियो कॉल के जरिए डर पैदा करते हैं।
साइबर अपराधियों द्वारा बेखबर लोगों को अपने जाल में फंसाकर धोखा देकर उनकी गाढी कमाई का रुपया हडपने के लिये मुम्बई क्राईम ब्रान्च, सीबीआई ऑफिसर, नारकोटिक्स डिपार्टमेण्ट, साइबर क्राइम, IT या ED ऑफिसर के नाम से कॉल कर ऐसी गलती बताते हुये जो आपने की ही न हो जैसे आपके नाम/ आधार कार्ड आदि आई0डी0 पर खोले गये बैंक खातों में हवाला आदि का पैसा जमा होने अथवा आपके नाम से भेजे गये कोरियर/पार्सल में प्रतिबंधित ड्रग्स, फर्जी दस्तावेज पासपोर्ट आदि अवैध सामग्री पाये जाना बताकर मनी लॉण्ड्रिंग, नारकोटिक्स आदि के केस में गिरफ्तार करने का भय दिखाकर व्हाट्सएप वाइस/वीडियो कॉल, स्काइप आदि के माध्यम से विवेचना में सहयोग के नाम पर अवैध रुप से डिजिटल हाउस अरेस्ट कर उनका सारा पैसा आरबीआई से जाँच/वैरिफिकेशन कराने हेतु बताये गये खातों में ट्रांसफर करवाकर धोखाधडी को अंजाम दिया जाता है।
कभी-कभी वे झूठ बोलकर पीड़ित के रिश्तेदारों या दोस्तों को भी किसी अपराध या दुर्घटना में उनकी संलिप्तता के बारे में बताते हैं, जिससे पीड़ित घबरा जाए। इसके बाद ये जालसाज खुद को पुलिस या सरकारी अफसर बताते हुए कहते हैं कि अगर वे पैसे देंगे तो मामला बंद हो जाएगा। इतना ही नहीं, जालसाज तब तक उन्हें वीडियो कॉलिंग करते रहते हैं जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। ये जालसाज कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं। कभी-कभी तो वे नकली पुलिस स्टेशन या सरकारी दफ्तर का सेटअप बना लेते हैं और असली पुलिस की वर्दी जैसी दिखने वाली वर्दी पहन लेते हैं।
पुलिस टीम में नि.देवेन्द्र नबियाल,
हे.का.नि.पवन कुमार,कॉ.सोहन बडौनी,कॉ. अभिषेक भट्ट (तकनीकी सहायता) शामिल थे।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ उत्तराखण्ड नवनीत सिंह द्वारा जनता से अपील की है कि डिजिटल अरेस्ट एक स्कैम है जो वर्तमान में पूरे भारत वर्ष में चल रहा है, कोई भी सी0बी0आई0 अफसर, मुम्बई क्राईम ब्रान्च, साइबर क्राइम, IT या ED अफसर या कोई भी एजेंसी आपको व्हाट्सएप के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट करने हेतु नोटिस प्रेषित नहीं करती है। साथ ही कोई व्यक्ति आपको फर्जी दस्तावेज, अवैध सामग्री आदि के नाम पर डरा धमका रहा है या पैसों की मांग कर रहा है तो इस सम्बन्ध में STF/साइबर थाने में अतिशीघ्र अपनी शिकायत दर्ज करायें। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार के लोक लुभावने अवसरों/फर्जी साइट/धनराशि दोगुना करने व टिकट बुक करने वाले अंजान अवसरो के प्रलोभन में न आयें। किसी भी प्रकार के ऑनलाईन कम्पनी की फ्रैन्चाईजी लेने, यात्रा टिकट आदि को बुक कराने से पूर्व उक्त साईट का स्थानीय बैंक, सम्बन्धित कम्पनी आदि से पूर्ण वैरीफिकेशन व भली-भाँति जांच पड़ताल अवश्य करा लें तथा गूगल से किसी भी कस्टमर केयर का नम्बर सर्च न करें व शक होने पर तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन से सम्पर्क करें । अगर आपको ऐसी ही कोई कॉल या मैसेज आए तो इसकी शिकायत जरूर करें। सरकार ने साइबर और ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए संचार साथी वेबसाइट पर चक्षू पोर्टल भी लॉन्च किया हुआ है। आप इस तरह की घटना की शिकायत 1930 साइबरक्राइम हेल्पलाइन पर या http://www.cybercrime.gov.in पर भी दर्ज करा सकते हैं।

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