नन्ही दुनिया आंदोलन की सह-संस्थापक स्व. साधना उल्फत को चार दिवसीय साधना उत्सव के माध्यम से दी दून के छात्रों और नागरिकों ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

नन्ही दुनिया आंदोलन की सह-संस्थापक स्व. साधना उल्फत को चार दिवसीय साधना उत्सव के माध्यम से दी दून के छात्रों और नागरिकों ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि

देहरादून

चार दिवसीय साधना उत्सव के माध्यम से नन्ही दुनिया आंदोलन की सह-संस्थापक, सशक्त और दूरदर्शी महिला हरबंस साधना उल्फत को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। स्व.हरबंस साधना उल्फत, जिन्हें माँ और बड़ी दीदी के नाम से भी विख्यात मात्र 14 वर्ष कीआयु से ही उन्होंने सामाजिक उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। उनकी अनूठी शैक्षिक पद्धति, ‘नेचुरल इंट्युटिव लर्निंग’ आज भी नन्ही दुनिया के शिक्षण अभ्यासों का मार्गदर्शन करती है। ग्रामीण भारत से गहरी जुड़ी हुई, उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण और समावेशी शिक्षा का समर्थन किया। एक सक्षम लेखिका और शिक्षिका के रूप में उन्होंने तीन दशकों तक शिक्षकों को प्रशिक्षित कियाऔर रचनात्मकता, बच्चों के प्रति प्रेम और मानवता के प्रतिप्रतिबद्धता की एक समृद्ध धरोहर छोड़ी।हालांकि वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन जिन संस्थाओं और लोगों के साथ उन्होंने काम किया है, उनके माध्यम से वहआज भी हमारे जीवन में जीवित हैं।

नन्ही दुनिया ने स्व. साधना उल्फत की धरोहर को सम्मानित करने के लिए एक विशेष कार्यक्रमआयोजित किया। शताब्दी उत्सव में, नन्ही दुनिया स्कूल ने एक चार दिवसीय बालसभा कार्यक्रम आयोजित किया,जिसकी शुरुआत 11 अप्रैल को हुई थी, जिसमें प्रतिस्पर्धा के बजाय सहभागिता पर ध्यान केंद्रित किया गया।

कार्यक्रम में देहरादून के सैकड़ों छात्रों, शिक्षकों और स्वयंसेवकों ने “साधना माँ” को सम्मानित किया । इस अवसर पर एक चित्रकला कार्यशाला भी आयोजित की गई, जिससे श्रद्धांजलि में रचनात्मकता को भी जोड़ा गया।

15 अप्रैल को, इस कार्यक्रम में साधना उल्फत के जीवन और योगदानों को समर्पित एक स्मारक पुस्तक का विमोचन किया गया, साथ ही नन्ही दुनिया के बच्चों द्वारा संस्कृत मंत्रों पर आधारित आकर्षक नृत्य प्रस्तुतियाँ भी दी गईं।

इस कार्यक्रम में राज्य की पहली महिला सीएस राधा रतूड़ी(पूर्व), वर्तमान में मुख्य सूचना आयुक्त मुख्य अतिथि के रूप में दीप प्रज्वलित कर समारोह की शुरुआत की।

बच्चों द्वारा संस्कृत मंत्रों के उच्चारण से हुई, जिसने एक शांत और आध्यात्मिक वातावरण तैयार किया।इसकेबाद, आशु सत्विका गोयल द्वारा कोरियोग्राफ किए गए दो भाव पूर्ण झांकियों नन्ही दुनिया के बच्चों ने नौ देवियों का जीवंत चित्रण और शिव-पार्वती संगम का सुंदर प्रदर्शन, प्रस्तुत किया गया।

“बाबा हठयोगी महाराज, अध्यक्ष श्री रामानंदी वैष्णव मंडल, हरिद्वार एवं महामंत्री अखिल भारतीय विश्व अखाड़ा परिसर, भी इस अवसर पर उपस्थित थे। उन्होंने अपने विचार प्रकट करते हुए बताया कि वे पिछले पचास वर्षों से अधिक समय से ‘नन्हीं दुनिया’ से जुड़े हुए हैं, और आज के समाज में ‘नन्हीं दुनिया आंदोलन’ जैसी संस्थाओं की नितांत आवश्यकता है।”

पुस्तक का विमोचन राधा रतूड़ी ने नन्ही दुनिया आंदोलन के ट्रस्टी और सदस्यों के साथ किया, जिनमें किरण उल्फत गोयल, डॉ. बी.के. एंडली, कर्नल रवि मेहरोत्रा, वी.पी. जैन, रमेश शर्मा, छाया शर्मा और विजय गोयल शामिल थे।

नवीनतम विमोचित पुस्तक से कुछ अंश आशु सत्विका गोयल और ओजस्य सोहम उल्फत ने पढ़े, जिससे दर्शकों को हरबंस साधना उल्फत की धरोहर कि एक झलक मिला।

नन्ही दुनिया के पूर्व मुखिया, बधिर शिष्य जो साधना के कार्यकाल में नन्ही दुनिया में पढ़ते थे, वे भी साधना जी को श्रद्धांजलि देने आए।

यह पुस्तक गुजन सेठी ने डिज़ाइन की और आलोक उल्फत द्वारा लिखी गई जो कि नन्ही दुनिया

पब्लिकेशंस के तहत प्रकाशित की गई। नन्ही दुनिया के मुख्य समन्वयक आलोक उल्फत ने सभी उपस्थितजनों का आभार व्यक्त किया और साधना उल्फत की निस्वार्थ यात्रा और उनकी पीढ़ियों पर गहरे प्रभाव के बारे में अपने विचार साझा किए।

इस समारोह का समापन नन्ही दुनिया की प्रमुख प्रवर्तक किरन उल्फत गोयल के प्रेरणादायकऔर भावनात्मक संबोधन से अपने विचार साझा किए। उन्होंने श्रीमती साधना उल्फत के दृष्टिकोण की निरंतर प्रासंगिकता को उजागर किया, जो हर बच्चे को प्यार, रचनात्मकता और समग्र देखभाल के साथ पोषित करने पर केंद्रित है। साधना उत्सव एक मार्गदर्शक प्रकाश बना हुआ है, जो श्रीमती साधना उल्फत की धरोहर को आगे बढ़ाते हुए एक ऐसी समाज का निर्माण कर रहा है, जो शिक्षा, कलात्मक अभिव्यक्ति और गहरी समझ के माध्यम से करुणा, सशक्तिकरण और समग्र विकास में आधारित हो।

आज 16 अप्रैल को हवन के द्वारा श्रीमती साधना जी को श्रद्धांजलि दी गई और कार्य का समापन किया गया।

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