सुमन दिवस-टिहरी रियासत के खिलाफ ऐतिहासिक अनशन करने वाले बलिदानी श्री देव सुमन की शहादत दिवस,जिनकी शवयात्रा 3 दिन चली .. – Latest News Today, Breaking News, Uttarakhand News in Hindi

सुमन दिवस-टिहरी रियासत के खिलाफ ऐतिहासिक अनशन करने वाले बलिदानी श्री देव सुमन की शहादत दिवस,जिनकी शवयात्रा 3 दिन चली ..

देहरादून

टिहरी रियासत के खिलाफ ऐतिहासिक अनशन करने वाले बलिदानी श्री देव सुमन जी का आज्ञाके दिन टिहरी की जेल में 25 जुलाई 1944 को अपनी शहादत दी थी। इनकी याद को संजोने के लिए आज के दिन को सुमन दिवस के रूप ने मनाया जाता है।आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ जानी अंजनी बाते …

सुमन का प्रजामंडल, जिसे टिहरी राज्य प्रजामंडल भी कहा जाता है, श्रीदेव सुमन द्वारा स्थापित एक संगठन था। इसका उद्देश्य टिहरी रियासत के लोगों को राजा के कुशासन से मुक्ति दिलाना था. 1939 में देहरादून में इसकी स्थापना की गई थी।

टिहरी राज्य के खिलाफ आंदोलन को देख टिहरी के राज ने 29 दिसंबर 1943 को श्री देव सुमन को चम्बाखाल में गिरफ्तार करके, 30 दिसंबर को टिहरी जेल भिजवा दिया गया। टिहरी जेल में श्री देव सुमन जी के साथ नारकीय व्यवहार किया गया। इनके ऊपर झूठा मुकदमा चलाकर 31 जनवरी 1944 को इन्हें 2 साल का कारावास और 200 रुपये दंड देकर अपराधी बना दिया गया। इसके बाद भी इनके साथ नारकीय व्यवहार जारी रहा। अंत में श्री देव सुमन ने 3 मई 1944 को ऐतिहासिक आमरण अनशन शुरू कर दिया।

जेल प्रशासन ने इनका मनोबल तोड़ने के लिए कई मानसिक और शारीरिक अत्याचार किए, लेकिन ये अपने अनशन पर डटे रहे। जेल में इनके अनशन की खबर से जनता परेशान हो गई, लेकिन रियासत ने अफवाह फैला दी कि श्रीदेव सुमन जी ने अपना अनशन समाप्त कर दिया है, और राजा के जन्मदिन पर इन्हें रिहा कर दिया जाएगा। यह खबर इनको भी मिली, लेकिन उन्होंने कहा कि वे प्रजामंडल को रजिस्टर्ड किए बिना अपना अनशन खत्म नहीं करेंगे।

अनशन से उनकी हालत बिगड़ गई, और जेल प्रशासन ने अफवाह फैला दी कि उन्हें न्यूमोनिया हो गया। इसके बाद उन्हें कुनैन के इंजेक्शन लगाए गए। कुनैन के इंजेक्शन के साइड इफेक्ट से उनके शरीर में खुश्की फैल गई, जिसकी वजह से वे पानी के लिए तड़पने लगे। श्रीदेव सुमन “पानी-पानी” चिल्लाते रहे, लेकिन किसी ने उन्हें पानी नहीं दिया। अंततः तड़पते हुए और रियासत के जुल्मों से लड़ते हुए इन्होंने 25 जुलाई 1944 को अपने देश, अपने राज्य उत्तराखंड, और अपनी पहाड़ी संस्कृति के लिए अपने प्राण त्याग दिए।

12 जनवरी 1948 को स्वतंत्रता सेनानी वीर चंद्रसिंह गढ़वाली, त्रेपन सिंह नेगी, देवीदत्त तिवारी, दादा दौलतराम, त्रिलोकीनाथ पुरवार के नेतृत्व में शवयात्रा का आयोजन किया गया।

यह शवयात्रा तीन दिन तक चलती रही। यात्रा से हजारों लोग इससे जुड़ते चले गए। यात्रा मार्ग में पड़ने वाले पुलिस थाने, चौकियों ने भी आत्मसमर्पण कर दिया। जब यात्रा रियासत की राजधानी टिहरी पहुंची तो राजा की फौज ने भी हथियार डाल दिए।

इस आंदोलन के बाद टिहरी रियासत को प्रजामंडल को वैधानिक करना पड़ा। मई 1947 में टिहरी प्रजामंडल का पहला अधिवेशन हुआ। जनता ने 1948 में टिहरी, देवप्रयाग, और कीर्तिनगर पर1947 अपना अधिकार कर लिया।

अंततः 1 अगस्त 1949 को टिहरी गढ़वाल राज्य भारत गणराज्य में विलीन हो गया।

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