उत्तरकाशी
10 दिन से चल रहा डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकार राजीव प्रताप की गुमशुदगी का सस्पेंस रविवार को खत्म हो गया।
रविवार को राजीव का शव जोशियाड़ा बैराज की झील से बरामद हो गया। लापता पत्रकार की मौत ने परिजनों के साथ-साथ पूरे शहर को सवालों में उलझाकर रख दिया है।
रविवार सुबह करीब 10:40 बजे आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा मिली जोशीयाडा झील में एक शव दिखाई देने की सूचना पर पुलिस, एनडीआरएफ और आपदा प्रबंधन विभाग की क्यूआरटी मौके पर पहुंची और शव को बाहर निकाला। राजीव के परिजनों को भी मौके पर बुलाया गया तो परिजनों ने पहचान की कि शव राजीव प्रताप का ही है। बाद में शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया।
राजीव 18 सितंबर की रात करीब 11 बजे अचानक पुलिसकर्मी दोस्त की कार समेत लापता हो गए थे। लेकिन बाद में पता चला कि राजीव कार को लेकर गंगोत्री की ओर गए थे। लेकिन अगले दिन कार भागीरथी नदी में स्यूंणा गांव के पास संदिग्ध हालात में मिली लेकिन कार खाली थी और उसके बाद राजीव का कोई सुराग नहीं मिल पाया।
परिजनों की तहरीर पर पुलिस ने पहले गुमशुदगी का मामला दर्ज किया, लेकिन हालात संदिग्ध लगने पर इसे अपहरण की धाराओं में बदला। इसके बाद उत्तरकाशी पुलिस, मनेरी थाना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने घटनास्थल से लेकर नदी और आसपास के क्षेत्रों में लगातार सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन दस दिनों तक कोई सफलता नहीं मिल पाई थी।
इससे पहले राजीव प्रताप की पत्नी का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उत्तरकाशी जिला अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने के बाद से उनके पति को लगातार धमकियां मिल रही थीं। पत्नी ने कहा था कि वह कई दिनों से परेशान थे और परिवार को अनिष्ट की आशंका है।
इस मामले में पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फोरेंसिक जांच के बाद ही मौत का असली कारण पूरी तरह स्पष्ट होगा।