देहरादून/उत्तरकाशी
कभी-कभी किस्मत हमारे लिए ऐसे रास्ते चुन लेती है, जिसकी हमें कल्पना भी नहीं होती। उत्तरकाशी के धराली निवासी जयभगवान पंवार उनकी पत्नी और बेटी 18 वर्षीय जाहनवी पंवार ने अपने परिजनों से देहरादून के ग्राफिक एरा में बीए ऑनर्स में एडमिशन के लिए
की गई एक छोटी-सी जिद उसके परिवार के लिए वरदान बन गई।
बेटी अपने माता पिता के साथ 5 अगस्त को देहरादून में थी। और इसी बीच धराली में आई आपदा में उनका उस इलाके में सबसे पुराने होटलों में से एक था जो कि लकड़ी से बना हुआ उसके साथ मकान और उसके साथ ही बगीचे में लगे सेब का बगीचा भी बह गया।
जय भगवान पंवार ने भारी मन से बताया कि बीए ऑनर्स में एडमिशन के लिए देहरादून स्थित ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी जाना था और जाहनवी चाहती थी कि उसके हम लोग भी चलें। बेटी का मन रखने के लिए जम भी उसके साथ ही उसकी मम्मी और मै देहरादून आ गए और इसी दौरान धराली में आई भीषण आपदा ने उनका घर, 4 कमरों का होटल और सेब का बगीचा मलबे में बदल दिया। सब कुछ बर्बाद हो गया लेकिन सबसे बहुमूल्य उन सबकी जिंदगी बच गई।
घटना की जानकारी मिलने पर ग्राफिक एरा ग्रुप के चेयरमैन डॉ. कमल घनशाला ने जाहनवी के पिता जय भगवान सिंह पंवार से फोन पर बात कर संवेदना व्यक्त की। उन्होंने जाहनवी की पूरी पढ़ाई निशुल्क करने की घोषणा करते हुए कहा कि अब किसी भी सेमेस्टर में उससे फीस नहीं ली जाएगी। डॉ. घनशाला ने यह भी आश्वासन दिया कि धराली आपदा से प्रभावित अन्य बच्चों की पढ़ाई में मदद के लिए भी कदम उठाए जाएंगे।
ग्राफिक एरा राज्य में हर आपदा की घड़ी में मददगार रहा है। जोशीमठ आपदा से प्रभावित कई छात्रों को बीटेक से लेकर पीएचडी तक निशुल्क शिक्षा दी जा रही है।
पाठकों को बताना चाहूंगा कि मैं 2001 में उत्तरकाशी में अमर उजाला में कैमरामैन पोस्टेड रहा हु उस दौरान जयभगवान मेरे मित्र बने और कई बार उनके होटल में रुका देहरादून आने के बाद भी उनसे लगातार बात होती रही।
आपके साथ उनके होटल की एक तस्वीर भी आपसे शेयर कर रहा हु। देखिए कितना शानदार होटल बनाया था उन्होंने और कितनी मेहनत की होगी उसको बनाने के लिए। हतप्रद हुं सोच सोचकर उनके साथ उनके होटल में बिताए क्षणों को लेकर। उस आपदा ने कितने लोगों का कारोबार उनकी जिंदगी भर की कमाई छीन ली। कितने लोग बेघर हो गए,कितने लोगों का आज 5 दिन बाद भी पता नहीं चल पा रहा हे।